नई दिल्ली।
नई पीढ़ी के विद्यार्थियों में राष्ट्रीय चिंतन की कमी है क्योंकि भारतीय शिक्षा प्रणाली में भारतीय इतिहास को गलत तरीके से पेश किया गया है। जरूरत है कि पाठ्यक्रम में भूले विसरे क्रांतिकारियों की कहानियां शामिल की जाए। वर्तमान केंद्र सरकार अपने शिक्षण संस्थानों में इतिहास और संस्कृति के विस्मृत पन्नों को पुनः जोड़ने के प्रयास में लगी हुई है। दिल्ली में निर्विकल्प फाउंडेशन द्वारा आयोजित क्रांति स्मृति पर्व के तहत ‘भारत के अमर सपूत’ स्मारिका के विमोचन समारोह में आईसीसीआर के चेयरमैन और राज्यसभा सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे ने आज यह बात कही।
प्रसिद्ध चित्रकार एवं इतिहास शोधार्थी स्व. अविनाश पुराणिक की स्मृति में आयोजित एक सेमिनार में समाजसेवी मल्लिका नड्डा ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर हमें स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिवीरों के त्याग, बलिदान और शौर्य गाथाओं को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लेना चाहिए।
इस बारे में वरिष्ठ समाजकर्मी और वनवासी कल्याण आश्रम के प्रमुख स्तम्भ सदाशिवराव देवधर ने भी कहा कि भारत की आजादी में गुमनाम तरीके से लाखों लोगों द्वारा दी गई आहुतियों की कहानियों को नई शिक्षा प्रणाली की किताबों में शामिल किया जाना चाहिए।
मौके पर विभिन्न समाजसेवी व वरिष्ठ अतिथियों के साथ निर्विकल्प फाउंडेशन के अध्यक्ष भूपेंद्र चाहर मौजूद रहे।