एम.एस. स्वामीनाथन: हरित क्रांति के जनक

     चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड
बलराम के कंधे पर हल इस तथ्य को प्रमाणित करती है कि भारत युगो से कृषि प्रधान देश है इतिहास का अवलोकन किया जाए तो ब्रिटिश शासन काल तक फसलों की उन्नति के लिए बीजों की सुधार की ओर किसी का ध्यान नहीं गया था।

भारत के प्रसिद्ध कृषि अनुवांशिक वैज्ञानिक मंकोम्बो सम्बासीवन स्वामीनाथन पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सबसे पहले 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकसित किए।

इससे भारत में गेहूं उत्पादन में भारी वृद्धि हुई, इसलिए एम.एस. स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक माना जाता है।
एम.एस. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडू स्थित कुंभकोणम में हुआ था।  कृषि क्षेत्र में इनकी उपलब्धियों के लिये भारत सरकार द्वारा सन 1967 में पद्म श्री, 1972 में पद्म भूषण और 1989 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। अमेरिका, जापान, फ्रांस, यूनेस्को, इंग्लैंड, बांग्लादेश, चीन, इटली जैसे कई राष्ट्रों ने भी इन्हें सम्मानित किया है।

विभिन्न पुरस्कारों में और सम्मान के साथ प्राप्त धनराशि से इन्होंने 1990 के दशक के आरंभिक वर्षों में अवलंबनीय कृषि तथा ग्रामीण विकास के लिए चेन्नई में शोध केंद्र ‘एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना की। इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य ‘भारतीय गांवों में प्रकृति तथा महिलाओं के लिए अनुकूल प्रौद्योगिकी के विकास और प्रसार पर आधारित रोजगार उपलब्ध कराने वाली आर्थिक विकास की रणनीति को बढ़ावा देना है।’

1999 में टाइम पत्रिका ने स्वामीनाथन को 20वीं सदी के 20 सबसे प्रभावशाली एशियाई व्यक्तियों में से एक बताया है।
एम.एस. स्वामीनाथन के जन्म दिवस पर पाठक मंच के इन्द्रधनुष कार्यक्रम के 737वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।

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