चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड ।
नई दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रोफेसर होने के साथ मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रमुख रही सुनीता जैन उपन्यासकार, लघु कथा लेखक और कवियत्री रहीं।
नई दिल्ली स्थित आईआईटी की प्रोफेसर और मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग की प्रमुख रही सुनीता जैन का साहित्यिक कद काफी उंचा है। वह उपन्यासकार, लघु कथा लेखक और कवियत्री रहीं।
सुनीता जैन का जन्म अंबाला जिले में रहने वाले जैन परिवार में हुआ था। इनकी किशोरावस्था में इनका परिवार दिल्ली आ गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज से इन्होंने बी.ए. करने के बाद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयार्क से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. किया।
फिर यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रास्का से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की इन्होंने गुणात्मक और परिमाणात्मक दोनों दृष्टि से श्रेष्ठ साहित्य की रचना की है। इनका साहित्यिक कद बहुत ऊंचा है और अपनी बहुवर्णी विस्तार में इनकी काठी सुविस्तृत है। इनकी प्रथम कविता 1962 में ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित हुई थी।
इन्हें मिले प्रमुख सम्मान में 1969 में नेब्रास्का विश्वविद्यालय का वरलैंड अवार्ड के बाद मैरी सैंडोज प्रेयरी शूनर फिक्शन अवार्ड 1970 और 1971 में दो बार मिला। वर्ष 1979 और 1980 में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार से सम्मानित होने के साथ 1980 में ही निराला नमित पुरस्कार, 1996 में दिल्ली अकादमी पुरस्कार, 1997 में महादेवी वर्मा सम्मान के बाद भारत सरकार ने इन्हें शिक्षा और साहित्य की ओर से 2004 में पद्मश्री के अलंकरण से विभूषित किया।
ये 8वें ‘विश्व हिंदी सम्मेलन’ न्यूयॉर्क 2007 में विश्व कवि सम्मान से सम्मानित हिंदी की पहली कवियत्री हैं। 2015 में के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा इनकी कविता संग्रह क्षमा के लिए व्यास सम्मान से सम्मानित किया गया।
सुनीता जैन ने 11 दिसम्बर 2017 को नई दिल्ली में इस सांसारिक लोक से विदा ले लिया। इनके लेखन, पुरस्कार, निजी पत्र इत्यादि का संग्रह अब प्रेमचंद और अभिलेखागार और साहित्य केंद्र में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के अभिलेखागार में स्थायी संग्रह का हिस्सा है।
17 जुलाई को सुनीता जैन की जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 734वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।