1959 में पद्मभूषण से विभूषित हुई थी भारत की पहली वाइस चांसलर हंसा मेहता

चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड  ।
बहुमुखी प्रतिभा की धनी हंसा मेहता भारत की एक सुधारवादी, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी, नारीवादी और लेखिका थीं। गुजरात के बड़ौदा स्थित सूरत के एक ब्राह्मण परिवार में बड़ौदा और बीकानेर के रियासतों के दीवान रहे दर्शन शास्त्र के प्राध्यापक मनुभाई मेहता के घर 3 जुलाई 1897 को इनका जन्म हुआ।

हंसा मेहता ने दर्शन शास्त्र में स्नातक की उपाधि लेने के बाद 1918 में इंग्लैंड जाकर पत्रकारिता और समाज शास्त्र का अध्ययन किया। यहां इनका परिचय सरोजिनी नायडू और राजकुमारी अमृत कौर से हुआ।  दोनों ने हंसा मेहता में देश सेवा की भावना जगाई। नायडू ने इन्हें 1922 में महात्मा गाँधी से परिचित कराया।

1930 में यह स्वतंत्रता आंदोलन के गतिविधियों में शामिल हुई एवं 1931 में मुंबई लेजिस्लेटिव कौंसिल की सदस्य चुनी गई। वर्ष 1941 में यह भारत का पहला वाइस चांसलर बनी। 1946 में अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की अध्यक्ष बनी और इसी वर्ष इन्होंने महिलाओं की स्थिति पर परमाणु उप समिति में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
14-15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि सत्ता हस्तांतरण के ऐतिहासिक अवसर पर इन्होंने भारतीय महिलाओं की ओर से देश के पहले राष्ट्रपति को राष्ट्र ध्वज तिरंगा भेंट करने का गौरव प्राप्त किया। यह भारत के संविधान को मूल रूप देने वाली समिति की 15 महिलाओं में शामिल थी। 1950 में यह संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग की उपाध्यक्ष बनीं। 1959 में इन्हें पद्मभूषण से विभूषित किया गया।

इस सफर में चलते हुए 4 अप्रैल 1995 को यह ब्रह्मलीन हो गई।
हंसा मेहता की जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 732वीं कड़ी में मंच के सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।

 

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