प्राय: हम सब कहते और सुनते हैं कि अपना भी समय आएगा। गली बॉय फिल्म के गाने ‘अपना टाइम आएगा‘ की लोकप्रियता भी किसी से छिपी नहीं है।
तो यह प्रश्न भी मन में आ ही जाता है कि अपना टाइम कब आएगा???
हम सब अपने जीवन में उस समय की प्रतीक्षा करते रहते हैं, जहां से हमारा जीवन नई दिशा ले लेगा। हमें यह लगता रहता है कि कभी वह समय आएगा, जब सब कुछ बदल जाएगा।
क्या वास्तव में ऐसा है?
क्या यह सत्य है कि ऐसा कोई समय आएगा, जो सब बदल देगा?
आज हम अपने इस स्तंभ में उसी समय की बात करेंगे। हम बात करेंगे उस पल की, जिसमें हर पल को बदल देने की शक्ति होती है।
मूलत: यह प्रश्न भी संयोग और कर्म-भाग्य के संबंध की प्रक्रिया में सामने आए तथ्यों का ही विस्तार है। इन दोनों विषयों को हम पीछे स्पष्ट कर चुके हैं।
अब आते हैं जीवन के सबसे शक्तिशाली पल पर। वह पल जब हम कह सकें कि अपना टाइम आ गया।
इसके लिए थोड़ा सा पीछे जाकर कर्म और भाग्य के संबंध को याद करते हैं। कर्म-भाग्य की चर्चा में यह निष्कर्ष निकला था कि मूलत: कर्मफल ही भाग्य है। हमारा हर कर्म भाग्य का निर्धारण करता है। कुछ पूर्व जन्म के कर्म होते हैं, जो प्रारब्ध के रूप में आपके सामने आ जाते हैं। एक तरह से कहा जा सकता है कि प्रारब्ध वह है, जिसे होना ही है। इसे आप टाल नहीं सकते हैं। लेकिन इस जन्म में अपने कर्म के माध्यम से आप प्रारब्ध के कारण अपने जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को घटा या बढ़ा सकते हैं।
कर्म-भाग्य के इसी संबंध से हमारे आज के प्रश्न के समाधान की राह भी निकलती है कि अपना टाइम कब आएगा…
आइए इसे समझने का प्रयास करते हैं।
हमने यह तो जान लिया कि कर्म से हम प्रारब्ध का प्रभाव बदल सकते हैं और अपने लिए नया कर्मफल यानी भाग्य निर्धारित भी कर सकते हैं। इससे यह भी सिद्ध होता है कि सबसे शक्तिशाली आपका कर्म ही है। इसमें सब कुछ अच्छा या बुरा कर देने की शक्ति है।
अब स्वयं से एक और प्रश्न कीजिए… आप कर्म कब कर सकते हैं?
क्या आप पिछले जन्म में जाकर कर्म कर सकते हैं? नहीं…
क्या आप बीते हुए कल में जाकर कर्म कर सकते हैं? नहीं…
क्या आप आने वाले कल में समय से पहले पहुंचकर कोई कर्म कर सकते हैं? नहीं…
तब फिर कर्म कब करते हैं?
उत्तर सीधा और सामान्य सा है कि हम कर्म वर्तमान में करते हैं और वर्तमान में ही कर सकते हैं। वर्तमान के अतिरिक्त जीवन का कोई क्षण ऐसा नहीं है, जब आपके लिए कर्म करना संभव हो।
अब दोनों निष्कर्ष को मिलाकर देखिए…
सबसे शक्तिशाली है आपका कर्म। और कर्म करना केवल वर्तमान में ही संभव है। इसका अर्थ यह हुआ कि आपका सबसे शक्तिशाली समय भी यही है, जिसे आप जी रहे हैं। वह क्षण जो हर क्षण अतीत होता जाएगा और आपके भविष्य के लिए कोई कर्मफल तैयार कर जाएगा। इस क्षण आप जो कर्म कर सकते हैं, उसे सर्वश्रेष्ठ तरीके से कीजिए। यही आपको हर क्षण करना होगा।
न अच्छा कर्म करने का कोई आदर्श समय हो सकता है और न ही कर्म से शिथिल होने की छूट आपको किसी क्षण में मिल सकती है।
आपको यह समझते हुए हर कर्म करना होगा कि उसका कर्मफल ही वह भाग्य है, जिसका सामना आपको अगले क्षण में, निकट भविष्य में या जीवन के किसी पड़ाव पर करना ही पड़ेगा।
विषय थोड़ा उलझ सा रहा है ना!!!
इसे उदाहरण के माध्यम से थोड़ा सुलझाते हैं।
मान लीजिए आप कार चला रहे हैं। कार चलाना आपका कर्म है। कार चलाते समय आसपास से गुजर रही गाड़ियों का ध्यान रखना उस कर्म को श्रेष्ठ तरीके से करने की प्रक्रिया का हिस्सा है। कार की गति को धीमा या तेज करना भी आपके कर्म का ही हिस्सा है।
अब इस क्षण में आपके कर्म का विश्लेषण करते हैं।
आपने गति सीमा की अनदेखी करते हुए बहुत तेज कार चलाई – यह आपका कर्म है।
इसके कितने कर्मफल आपको और आसपास अन्य लोगों को भोगने पड़ सकते हैं–
पहला, आगे निकलते ही आपका चालान हो गया।
दूसरा, आप किसी दुर्घटना का शिकार हो गए।
तीसरा, उस दुर्घटना में कोई अन्य गाड़ी भी चपेट में आ गई, उसने भी आपके कर्म का फल भोगा।
चौथा, आपकी कार में या दूसरी गाड़ी में अन्य जितने भी लोग थे, सब उसका शिकार हुए। और सबके साथ-साथ सबके परिवार पर भी थोड़ा-थोड़ा प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। कुछ लोगों की प्राण हानि भी हो सकती है।
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अब कर्म को थोड़ा बदल लीजिए।
आपने गति सीमा को ध्यान में रखते हुए सामान्य गति से कार चलाई और आसपास भी सब ध्यान रखा – यह आपका कर्म है।
इसका क्या कर्मफल हो सकता है–
पहला, आप सुरक्षित उस गंतव्य पर पहुंचे, जहां आपको पहुंचना था।
दूसरा, प्रारब्ध के कारण या अन्य किसी के कर्म के कारण आप दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं।
लेकिन, आपने कर्म पूरी सजगता से और श्रेष्ठतम तरीके से किया, इसलिए अधिकतम संभावना यही रहेगी कि ऐसी किसी दुर्घटना की स्थिति में भी आपको न्यूनतम हानि होगी, क्योंकि आप सतर्क थे। निसंदेह आपसे जुड़े हुए अनेक लोग किसी अप्रिय घटना के कारण होने वाले दुष्प्रभाव से बच गए।
इन दोनों ही घटनाओं में सबसे शक्तिशाली क्षण आपका वर्तमान ही था और आप हर क्षण में जैसा करते गए, उसके अनुरूप आपका और आपसे संबंधित अन्यान्य लोगों का भाग्य बनता गया।
बस यही जीवन है।
अब कभी यह मत पूछिए कि अपना समय कब आएगा। आपको जो जीवन, जो समय मिला है, वह आपका ही तो है। इसे ही सर्वश्रेष्ठ तरीके से जीते हुए अपने और अपनों के लिए श्रेष्ठ भविष्य एवं भाग्य का निर्माण करना है। जिस क्षण से आपमें स्वयं को समझने का विवेक आ गया, बस उसी क्षण से जीवन का हर क्षण आपका सर्वश्रेष्ठ और शक्तिशाली समय है।
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(समाधान है… कॉलम में ऐसे ही अनुत्तरित लगने वाले प्रश्नों के समाधान पाने का प्रयास होगा। प्रश्न आप भी पूछ सकते हैं। प्रश्न जीवन के किसी भी पक्ष से संबंधित हो सकता है। प्रश्न भाग्य-कर्म के लेखा-जोखा का हो या जीवन के सहज-गूढ़ संबंधों का, सबका समाधान होगा। बहुधा विषय गूढ़ अध्यात्म की झलक लिए भी हो सकते हैं, तो कई बार कुछ ऐसी सहज बात भी, जिसे पढ़कर अनुभव हो कि यह तो कब से आपकी आंखों के सामने ही था। प्रश्न पूछते रहिए… क्योंकि हर प्रश्न का समाधान है।)