हिंदी के प्रथम कहानी लेखक के रूप में जाने जाते हैं माधवराव सप्रे

चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड।
हिंदी के प्रथम कहानी लेखक के रूप में पंडित माधवराव सप्रे जाने जाते हैं। ये हिंदी के साहित्यकार एवं पत्रकार थे। इनकी कहानी ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ को हिंदी की पहली कहानी होने का श्रेय प्राप्त है। हिंदी पत्रकारिता क्षेत्र में इनका योगदान स्मरणीय है। इनका जन्म 19 जून 1871 को मध्य प्रदेश के दमोह जिले की पथरिया गांव में हुआ था।

इन्होंने राष्ट्रीय कार्य के लिए उपयुक्त अनेक प्रतिभाओं को परख कर उनका उन्नयन किया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इनकी भूमिका अग्रणी रही। पंडित माधवराव सप्रे को हिंदी का पहला समालोचक भी माना जाता है। इन्होंने हिंदी में अर्थशास्त्री चिंतन की परंपरा की शुरूआत की थी।

1920 में इन्होंने जबलपुर में ‘हिंदी मंदिर’ की स्थापना की जिसका हिंदी के क्षेत्र में सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ाने में अनूठा योगदान है 1921 में इन्होंने रायपुर राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना की और साथ ही रायपुर में ही पहले कन्या विद्यालय जानकी देवी महिला पाठशाला की भी स्थापना की। वर्ष 1924 में हिंदी साहित्य सम्मेलन के देहरादून अधिवेशन में यह सभापति भी रहे।

23 अप्रैल 1926 को  पंडित माधवराव सप्रे  का छत्तीसगढ़ के रायपुर में इनका निधन हो गया। ‘माधवराव सप्रे की कहानियाँ’ हिंदुस्तानी एकेडमी इलाहाबाद से प्रकाशित हुई और ‘माधवराव सप्रे : प्रतिनिधि संकलन’ नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया नई दिल्ली से प्रकाशित हुई। इनकी स्मृति में भोपाल में “माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान’ की स्थापना की गई थी। 19 जून 1984 को ‘माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय’ का मिशन प्रारंभ हुआ।

सप्रे संग्रहालय ने लगभग डेढ़ दशक तक भारतीय पत्रकारिता कोश लिपिबद्ध करने की महत्वाकांक्षी परियोजना पर कार्य किया।
पंडित माधवराव सप्रे की जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 730वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।

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