उषा पाठक
वरिष्ठ पत्रकार।
नयी दिल्ली,14जून 2022 (एजेंसी)
बिहार से दिल्ली, मुम्बई,कोलकाता,चेन्नई राजस्थान,हरियाणा,पंजाब आदि स्थानों पर रोजी रोटी के लिए पलायित हुए ज्यादातर प्रवासियों के दिल में एक आह निकलती है कि काशः बिहार में उद्योग को बढ़ावा मिलता तो पलायन की समस्या नहीं होती और राज्य के लोग अन्यत्र भटकने को विवश नहीं होंते। राज्य से पलायन करने वाले लोगों को बड़े शहरों और महानगरों में जलालत की जिंदगी के बीच खुद को स्थापित करना पड़ता है।
इस बारे में बिहार के मधुबनी जिले के उमड़ी गांव से दिल्ली में अपने को स्थापित करने में जुटे भगवंत झा कहते हैं कि राज्य में पिछले तीन दशक से उद्योग धंधा नहीं होने से बड़े पैमाने पर लोग पलायित हुए हैं। जिन्हें मुश्किल हालातों में महानगरों में काम करना पड़ता है।
झा ने कहा कि बिहार की पुरानी औद्योगिक इकाईयां मृत प्राय है। इसे भी चालू करने की कभी कोशिश नहीं की गयी। नए उद्योग लगना तो दूर की बात है।
चेन्नई से लौटे रंजीत ने बताया कि वह बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले हैं। काम की तलाश में घर से बाहर चेन्नई गए। वहां निर्माण काम में मजदूरी की। रोज़ 10 से 12 घंटे कठिन मेहनत करनी पड़ती थी तब जाकर कुछ पैसे बचा पाया। इसी तरह बिहार के शेखपुरा जिला निवासी प्रमोद यादव कहते हैं कि उन्होंने एक दशक पहले दिल्ली आकर अपना छोटा सा व्यवसाय शुरू किया। यहाँ परेशानियां तो होती हैं, लेकिन विकल्प क्या है?
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार को चाहिए कि राज्य में उद्योग को बढ़ावा दें। सुरक्षा एवं आसान ऋण का प्रबन्ध हो,ताकि राज्य से पलायन दूर हो सके।एल.एस।