क्या राहुल अपनी दादी इंदिरा गांधी की गाथा दोहरा पाएंगे?

डॉ.समरेन्द्र पाठक

वरिष्ठ पत्रकार।

नयी दिल्ली,14 जून 2022 (एजेंसी)। आजाद भारत में चार दशकों तक राज करने वाले नेहरू-गांधी परिवार से जुड़े स्व. इंदिरा गांधी के बाद राहुल गांधी से भ्रष्टाचार के मामलों में जांच एजेंसी ने कड़ी पूछताछ की है। भ्रष्टाचार के आरोप तो पूर्व प्रधानमंत्रियों पं. जवाहर लाल नेहरू एवं राजीव गांधी पर भी लगे थे,किन्तु इनसे कोई पूछताछ नहीं हुयी थी। हां,बोफोर्स घोटाले के नाम पर वर्ष 1989 में राजीव गांधी की सत्ता जरूर चली गयी थी।

पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती गांधी से अपने चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग एवं जीप घोटाले के अलावा शाह आयोग ने आपातकाल के कारणों के बारे में लंबी एवं कई दौर की पूछताछ की थी और उन्हें दो बार गिरफ्तार किया गया था। यही गिरफ्तारी वर्ष 1980 में सत्ता में दोबारा उनकी वापसी का बड़ा कारण बना था।

श्रीमती गांधी को पहले 3 अक्टूबर 1977 को गिरफ्तार किया गया था,उन्हें दूसरे दिन अदालत में पेश किया गया, लेकिन अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ कोई मुक़दमा नहीं बना पाया और उन्हें तुरंत रिहा कर दिया गया। उनकी दूसरी बार गिरफ्तारी 19 दिसंबर 1978 को हुयी। उन्हें तिहाड़ जेल के 19 नंबर वार्ड में रखा गया। वह सप्ताह भर से अधिक समय तक वहां रहीं। इस विरोध में कांग्रेसियों ने देश की जेलों ही नहीं कैम्प जेलों को भी भर दिया था।

हालांकि केंद्र में सत्तारूढ़ मोरारजी देसाई की अगुवाई वाली सरकार के कई दिग्गज श्रीमती गांधी की गिरफ्तारी के खिलाफ थे,किन्तु कुछ ऐसे भी थे जो श्रीमती गांधी से बदला लेने के लिए उनकी गिरफ्तारी की मांग के पक्षधर थे। मोरारजी भाई को शंका थी कि अगर इंदिरा गांधी को जेल भेजा गया तो वह सहानुभूति पाकर फिर सत्ता में आ जायेगी। अंततः हुआ भी यही था। संजय गांधी के समर्थकों ने ऐसी व्यूह रचना की कि जनता सरकार बीच में ही गिर गयी।

सांसद राहुल गांधी से लगातार दो दिनों से ईडी की पूछताछ एवं गांधी परिवार की बहू एवं कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी को 23 जून को पूछताछ के लिए समन चार दशक पुरानी इस दास्तान की याद दिलाता है।

राहुल एवं सोनिया के खिलाफ यह जाँच किसी सार्वजिक घोटाले में नहीं बल्कि उनकी पैतृक संपत्ति नेशनल हेराल्ड मामले में धनशोधन के लिए की जा रही है। आरोप है कि इसके नाम पर बड़े पैमाने पर धन का इधर से उधर किया गया जो कानून की नजर में जायज नहीं है।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से सोमवार को करीब 10 घंटे तक दो चक्रों में पूछताछ की गयी और आज भी यह जारी रहा। उधर कल राहुल गांधी से पूछताछ चल रही थी और इधर कांग्रेस के सैकडों नेता एवं कार्यकर्त्ता लुटियन ज़ोन में प्रदर्शन कर रहे थे। लगभग 500 लोगों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया,जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया। राहुल गांधी रात 11.10 बजे ईडी दफ्तर से घर के लिए रवाना हुए। इस दौरान ईडी दफ्तर के बाहर कांग्रेसियों की भीड़ लगी रही।

इससे पहले वह सात एसयूवी के काफिले के साथ ईडी दफ्तर पहुंचे थे। उनके साथ प्रियंका गांधी वाड्रा थीं। वर्ष 2019 में एसपीजी सुरक्षा वापस लिए जाने के बाद से राहुल गांधी जेड प्लस सुरक्षा घेरे में रहते हैं। वहीं दिल्ली में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश, दिग्विजय सिंह, रणदीप सुरजेवाला समेत कई नेताओं को हिरासत में लिया गया। इनमें 26 सांसद और 5 विधायक भी शामिल थे।

बाद में कांग्रेस नेताओं ने केंद्र सरकार और भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि सरकारी एजेंसियों का जमकर दुरुपयोग हो रहा है। रात को हुई कांग्रेस की बैठक में न सिर्फ सोमवार को हुई राहुल गांधी से लंबी पूछताछ और देशभर में हुए प्रदर्शन को लेकर चर्चा हुई,बल्कि इसे गांव-गांव तक ले जाने का संकल्प लिया गया। जानकार यह बताते हैं कि कांग्रेसियों को अलर्ट पर रहने को कहा गया है।

उधर सूत्रों ने बताया कि ईडी इस मामले से संबंधित कंपनियों के शेयर होल्डिंग पैटर्न, वित्तीय लेन-देन और यंग इंडियन के प्रवर्तकों की भूमिका को समझने का प्रयास कर रही है। सोनिया-राहुल के यंग इंडियन में 38-38 फीसदी शेयर हैं। अन्य शेयर धारकों में गांधी परिवार के करीबी सुमन दुबे एवं सैम पित्रोदा शामिल हैं।एल.एस।

 

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