स्वपन कुमार मल्लिक, चाईबासा।

झारखंड राज्य के दक्षिणी भाग में सबसे बड़े जिले के रूप में पश्चिमी सिंहभूम जिला स्थित है। इस जिले का मुख्यालय चाईबासा है। कोल्हान पर विजय पाने के प्रयास में दक्षिण पूर्व रेलवे का प्रमंडलीय मुख्यालय ‘चक्रधरपुर‘ से चाईबासा आने के मार्ग में ब्रिटिश ने रोरो नदी पर कुमारधुबि इंजीनियरिंग वर्क्स लिमिटेड द्वारा 1831 में लोहे का पुल बनाया था, जो 187 वर्ष के बाद भी ब्रिटिश साम्राज्य के अस्तित्व को झलकाता हिम्मत के साथ खड़ा है।

यह मिनी हावडा़ ब्रिज के नाम से प्रचलित है। इसके बाद 1942 में कोलकाता में गंगा नदी पर हावड़ा ब्रिज बना था। जर्मन के नागरिक इस ब्रिज से होकर चाईबासा आए और ब्रिज से आधा किलोमीटर की दूरी पर 2 नवम्बर 1845 को एलिजाबेथ क्रिस्स गिरजा के रूप में गोस्सनर एवंजेलिकल लूथेरान चर्च की स्थापना की। चर्च परिसर में 1866 में लूथेरान बालिका प्राथमिक विद्यालय और 1868 में लूथेरान बालक प्राथमिक विद्यालय के साथ लूथेरान मध्य विद्यालय स्थापित हुआ।
उस काल में मुंडा एक जनजातीय समूह था, जो छोटा नागपुर के पठार पर निवास करते थे। चर्च के स्थापना के 30 वर्ष पश्चात् छोटा नागपुर के राँची स्थित उलीहातू गाँव में सुगना मुंडा की पत्नी करमी मुंडा 15 नवम्बर 1875 को एक शिशु की माँ बनी। तब शायद किसी ने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि इस बच्चे का नाम राज्य के प्रमुख व्यक्तित्व के प्रथम पायदान पर होगा और जिसकी जयंती पर नये राज्य की स्थापना होगी।

10 वर्ष की उम्र में इस बालक ने बिरसा मुंडा के नाम से लूथेरान मध्य विद्यालय में 1885 से 1888 तक अध्ययन किया था। 1 अक्टूबर 1894 को 18 वर्ष के नौजवान के रूप में बिरसा ने मुंडाओं को एकत्र कर ब्रिटिश से लगान माफी के लिए आंदोलन किया। 1895 में ब्रिटिश ने इन्हें गिरफ्तार कर हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में 2 साल के कारावास की सजा दी।
इलाके के लोग इन्हें ‘धरती आबा‘(घरती पुत्र) के नाम से पुकारते थे। इनके राज्य का प्रतीक सफेद झंडा था। 1857 में इन्होंने अपने साथियों के साथ खूँटी थाना पर धावा बोला। 1898 में तांगा नदी के किनारे हुये संघर्ष में ब्रिटिश सेना की हार हुई। जनवरी 1900 में डोमबाड़ी पहाड़ी पर संघर्ष के बाद 3 मार्च 1900 को चक्रधरपुर में बिरसा की गिरफ्तारी हुई। 9 जून 1900 को राँची कारागार में जीवन का 25वाँ वंसत देखे बिना ही बिरसा मुंडा ने अंतिम साँस ली। संयोगवश इस घटना के शताब्दी बाद 2000 में इनकी जयंती पर झारखंड राज्य स्थापित हुआ।
कालांतर में चाईबासा के गोस्सनर एवं जेलिकल चर्च परिसर में 1 सितंबर 1969 को गोस्सनर बालिका महाविद्यालय छात्रावास एवं 4 जनवरी 1972 में लूथेरान उच्च विद्यालय स्थापित हुआ।

बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुंडा भगवान के रूप में पूजे जाते हैं। बिरसा मुंडा की समाधि राँची में कोकर के निकट डिस्टिलरी ब्रिज के पास है। इनकी स्मृति में राँची में बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार, बिरसा मुंडा हवाई अड्डा एवं बिरसा कृषि विश्वविद्यालय है। स्मृतियों को संजोने के क्रम में इनकी 126वीं जयंती पर 15 नवम्बर 2000 को झारखंड राज्य स्थापित हुआ। कोल्हान के प्रमंडल मुख्यालय चाईबासा को गर्व है कि चाईबासा बिरसा मुंडा का अध्ययन स्थल है।
लूथेरान उच्च विद्यालय में 1998 से 2015 तक भरोसी टोप्पो प्रधानाध्यापक रही। इनके कार्यकाल में नये भवन का निर्माण हुआ। वहीं लूथेरान मध्य विद्यालय में 2001 में सावधानी पुर्ती प्रधानाध्यापक नियुक्त हुई। इनके कार्यकाल में 1868 का विद्यालय भवन 2014 तक मौजूद था। इनके निरीक्षण में पुराने भवन के स्थान पर नए भवन बनाए गये।
बिरसा मुंडा के अध्ययन स्थल के रूप में लूथेरान मध्य विद्यालय प्रसिद्ध है। बिरसा जयंती के अवसर पर प्रभात फेरी निकाली जाती है। बच्चों द्वारा बिरसा मुंडा रूप सज्जा प्रतियोगिता आयोजित कर बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि दी जाती है। गोस्सनर एवंजेलिकल लूथेरान चर्च परिसर दार्शनिक स्थल से कम नहीं है। मानो यहाँ आज भी बिरसा मुंडा की आवाजें सुनाई देती हैं।
(लेखक लूथेरान उच्च विद्यालय, चाईबासा के शिक्षक हैं।)