इस साल हमने 14.10 लाख करोड़ रुपये का कर एकत्र किया है, जो यह दिखाता है कि अधिकांश लोग अपनी कर जिम्मेदारी के बारे में जागरूक हो रहे हैं और टीडीएस के महत्व को समझ रहे हैं। एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव कमलेश वार्ष्णेय ने यह बात कही।
उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों को यह एहसास दिलाने के लिए एक आंदोलन होना चाहिए कि राष्ट्र निर्माण के लिए टैक्स आपकी जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, कि आप केवल कानून का पालन करने के लिये कर का भुगतान नहीं करें बल्कि इसलिये करें कि देश के नागरिक के रूप में राष्ट्र निर्माण में करों का भुगतान करना आपकी ज़िम्मेदारी है। उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष एक अच्छा संग्रह इस तथ्य का प्रतिबिंब है कि अधिक लोग औपचारिक अर्थव्यवस्था में आ रहे हैं और अधिक लोग अपने करों का भुगतान कर रहे हैं। और इसमें टीडीएस ने एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
संयुक्त सचिव ने कहा कि “भारत में अभी भी एक बड़ी नकदी अर्थव्यवस्था है और हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन अभी तक उस स्तर तक नहीं पहुंचे हैं जहां अधिकांश लोग स्वेच्छा से अपने करों का भुगतान करते हैं।” उन्होंने कहा कि स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार अगले कुछ महीनों में एक ई-सत्यापन योजना शुरू करने की योजना बना रही है।
इसके बारे में और जानकारी देते हुए कमलेश वार्ष्णेय ने कहा, “ई-सत्यापन योजना के तहत, आपके खर्च, क्रेडिट कार्ड के उपयोग, गेमिंग पर जीती गई राशि आदि के बारे में हमारे द्वारा एकत्र की गई जानकारी आपको दी जाएगी। पहले दो वर्षों के लिए, यह इलेक्ट्रॉनिक रूप से बताएगा कि यह जानकारी है।
करदाता जवाब दे सकता है कि उसने इसे पहले ही टैक्स रिटर्न में शामिल कर लिया है या यह अपडेटेड रिटर्न फाइल कर सकता है। यही वजह है कि इस साल रिटर्न के अपडेशन का प्रावधान पेश किया गया था। यह कुछ ऐसा है जो स्वैच्छिक अनुपालन और कर संग्रह में मदद करने वाला है।”
उन्होंने यह भी कहा टीडीएस भुगतान से बचने के तरीके ढूंढते रहना बुद्धिमानी नहीं है। आखिर में हमें यह सोचना होगा कि क्या हम अपने देश की सेवा कर रहे हैं।