चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड।
“भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी सुखदेव थापर का जन्म पंजाब के लुधियाना में 15 मई 1907 को हुआ था। ये ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के सदस्य थे। इन्होंने ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना की थी जिसका काम युवाओं को स्वतंत्रता का महत्व समझाना और प्रेरित करना था।
वर्ष 1927 में ब्रिटिश सरकार ने एक कमीशन का गठन किया था इसका नेतृत्व साइमन कर रहे थे। भारत में इसे साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है। इस कमीशन का विरोध पूरे भारत में हो रहा था।
उसी दौरान, लाला लाजपत राय, साइमन कमीशन के विरोध में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। उस वक्त ब्रिटिश सरकार के द्वारा किये गये लाठी चार्ज से लाला जी को कई चोटें आई लेकिन उनका भाषण बंद नहीं हुआ।
उन्होंने कहा ‘मुझ पर लगने वाली एक-एक लाठी अंग्रेजों के ताबूत में लगने वाले एक-एक कील के समान समान होगी।’ उसके बाद17 दिसम्बर 1928 को भगत सिंह और राजगुरु के साथ सहायक पुलिस अधीक्षक, जे. पी. सॉन्डर्स की हत्या में शामिल हुए जो लाला लाजपत राय के हिंसक मौत के जवाब में किया गया था।
इन्होंने 1929 में जेल में रहते हुए ब्रिटिश सरकार द्वारा जेल में दिए जाने वाले खराब खाने के लिए भूख हड़ताल में शामिल होकर ब्रिटिश सरकार के अमानवीय चेहरे को उजागर किया था।
परिणाम स्वरूप, लाहौर सेंट्रल जेल में 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, शिवलाल राजगुरु और भगत सिंह को फांसी की सजा दी गई।
उनकी स्मृति में 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज दिल्ली विश्वविद्यालय की एक घटक का नाम इनकी स्मृति में रखा गया है। अमर शहीद सुखदेव थापर अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल लुधियाना का मुख्य बस स्टैंड है।”
15 मई को सुखदेव थापर के जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 725वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।