“एक प्रगतिशील, आधुनिक भारत में निश्चित रूप से एक ऐसा पुलिस बल होना चाहिए जो लोगों की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को पूरा करे।” पुलिस बलों में सुधारों को फिर से लागू करने पर जोर देने के लिए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने अपील करते हुए यह बात कही।
8 मई को उपराष्ट्रपति ने पूर्व आईपीएस अधिकारी प्रकाश सिंह द्वारा लिखित पुस्तक “द स्ट्रगल फॉर पुलिस रिफार्म्स इन इंडिया” का विमोचन करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए, विशेष रूप से पुलिस विभागों में भारी संख्या में रिक्त पदों को भरना और आधुनिक युग की पुलिसिंग की आवश्यकताओं के अनुरूप पुलिस के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने जैसे मुद्दों पर बात की।
उन्होंने इसके लिये जमीनी स्तर पर पुलिस बल को विशेष रूप से मजबूत करने का आह्वान किया, जो ज्यादातर मामलों में सबसे पहले कदम उठाने वाले होते हैं।
इस बात पर जोर देते हुए कहा कि आम आदमी के प्रति पुलिसकर्मियों का व्यवहार विनम्र और मित्रतापूर्ण होना चाहिए, उपराष्ट्रपति ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से इस संबंध में उदाहरण प्रस्तुत करने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि, “पुलिस स्टेशन जाना ऐसे व्यक्ति के लिए परेशानी मुक्त अनुभव होना चाहिए जो वहां मदद मांगने जाता है। इसके लिए सुधार करने वाली पहली चीज पुलिस का रवैया है- उन्हें खुले विचारों वाला, संवेदनशील और प्रत्येक नागरिक की चिंताओं के प्रति ग्रहणशील होना चाहिए।”
यह उल्लेख करते हुए कि पुलिस सुधार एक अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि हालांकि पिछले कुछ वर्षों में सुधारों को लागू करने के कई प्रयास हुए हैं, लेकिन अपेक्षित सीमा तक प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुसार, सुधारों को समुचित रूप से लागू करने के लिए राज्यों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की अपील की।
उन्होंने कहा कि प्रगति के लिए पहली शर्त शांति है। भारत में पुलिस व्यवस्था के इतिहास का स्मरण करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि 1857 के विद्रोह के बाद, अंग्रेजों ने अपने साम्राज्यवादी हितों को बनाए रखने के मुख्य उद्देश्य के साथ एक पुलिस बल का निर्माण किया और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, मुख्य रूप से स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारियों के उत्पीड़न व दमन के लिए पुलिस का उपयोग किया। उन्होंने कहा, “आजादी के बाद, पुलिस व्यवस्था में व्यापक सुधारों की आवश्यकता थी। दुर्भाग्य से, हम इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में पिछड़ गए हैं।”
2006 के पुलिस सुधारों पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को कार्यान्वित न करने पर निराशा जताते हुए, नायडु ने कहा कि पुलिसिंग राज्य का विषय है और राज्यों को ही पुलिस सुधारों की दिशा में इस अभियान का नेतृत्व करना है। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि देश में बहुत आवश्यक पुलिस सुधारों को लागू करने के लिए सभी राज्य और केंद्र ‘टीम इंडिया’ की सच्ची भावना के साथ एकजुट होंगे।”
नायडु ने बेहतर पुलिस व्यवस्था की दिशा में भारत सरकार द्वारा की गई कई पहलों में छोटे अपराधों और उल्लंघनों को अपराध से मुक्त करने की एक परियोजना एवं कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920- एक ऐसा कानून जिसे 100 साल पहले पारित किया गया था, में संशोधन का प्रस्ताव शामिल है, पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने पुलिस को एक स्मार्ट बल- जो सख्त और संवेदनशील, आधुनिक व गतिशील, सतर्क और जवाबदेह, विश्वसनीय एवं उत्तरदायी, तकनीक अनुकूल और प्रशिक्षित बल का प्रतीक है- बनाने की प्रधानमंत्री की अपील की भी सराहना की।
देश में पुलिस सुधारों के ध्येय को आगे बढ़ाने के लिए लेखक प्रकाश सिंह की प्रशंसा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने उनकी पुस्तक को उल्लेखनीय उदाहरण बताया कि एक अधिकारी अपने अकेले प्रयासों से क्या उपलब्धि अर्जित कर सकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि देश में एक लोकोन्मुखी पुलिस बल का उद्भाव होगा जो कानून के शासन को बनाये रखने को सर्वोच्च महत्व देगा।