‘दो बीघा जमीन’ में कालजयी अभिनय ने बलराज साहनी को दिलाई खास पहचान

चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड।

“..’बलराज, मेरे भाई’ यह नाम है उस पुस्तक का जिसे नेशनल बुक ट्रस्ट ने 1981 में राष्ट्रीय जीवनी श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित किया था। प्रख्यात लेखक भीष्म साहनी की कलम से लिखी गई यह पुस्तक उनके छोटे भाई हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता बलराज साहनी पर आधारित थी। बलराज साहनी हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता थे।

बलराज साहनी का जन्म ब्रिटिश भारत के रावलपिंडी के आर्य समाजी परिवार में 1 मई 1913 को हुआ था। बचपन में ये डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल में अध्ययनरत थे। यहीं से इनकी प्रतिभा प्रदर्शित होने लगी। जब बलराज सातवीं कक्षा में थे, तब इन्होंने हस्तलिखित पत्रिका निकाली थी। लाहौर के मशहूर गवर्मेंट कॉलेज से इन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की और 1938 में महात्मा गांधी के साथ काम किया। गांधी जी के सहयोग से इन्हें बी.बी.सी. के हिंदी उद्घोषक के रूप में इंग्लैंड में नियुक्त किया गया। इसके बाद 1943 में यह भारत लौट आए।

बलराज साहनी ने  इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन (इप्टा) के नाटकों के साथ अभिनय कैरियर की शुरुआत करने के बाद 1946 में  फिल्म ‘इंसाफ’ के साथ फिल्मी कैरियर की शुरुआत की। यह पंजाबी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखक भी थे। 1950 के दशक में दिल्ली में वंचित वर्ग के लिए लाइब्रेरी और अध्ययन केन्द्र उद्घाटन करने वाले बलराज पहले व्यक्ति थे।

यूं तो चरित्र अभिनेता के रूप में बलराज साहनी एक मंझे हुए कलाकार के रूप में जाने जाते थे, मगर वर्ष 1953 में केन फिल्म फेस्टिवल में अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित बिमल रॉय की फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ से इन्हें विशेष पहचान मिली। 1961 में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए ‘काबुलीवाला’ इनकी प्रसिद्ध फिल्मों में शामिल हैं।

बलराज अभिनीत 1965 की फिल्म ‘वक्त’ को पहले हिंदी मल्टीस्टारर फिल्म का दर्जा प्राप्त है। इस सफर को तय करते हुए 13 अप्रैल 1973 को बलराज साहनी ने इस दुनिया को विदा कह दिया।  इनके सम्मान में भारतीय डाक द्वारा 3 मई 1913 को डाक टिकट जारी किया गया। इनके पुत्र परीक्षित साहनी चरित्र अभिनेता हैं।”

बलराज साहनी के जन्मदिन पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 723वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।

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