बाल श्रम को रोकने के लिये ‘सेव द चिल्ड्रन’ संस्था ने किया एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन

चिन्मय दत्ता।

राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन दिवस पर जिला दंडाधिकारी-सह-उपायुक्त अनन्य मित्तल के निर्देश पर जिला बाल संरक्षण इकाई एवं ‘सेव द चिल्ड्रन’ संस्था की ओर से चक्रधरपुर प्रखंड कुरमाली भवन में एक दिवसीय राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बालश्रम प्रतिषेध अधिनियम के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्रदान करना है।

इस बारे में प्रोटेक्शन ऑफिसर डॉ कृष्णा कुमार तिवारी ने बताया कि 14 से 18 वर्ष के कम उम्र के किसी भी बच्चे को काम में रखा जाना गैरकानूनी है । इसके लिए अधिनियम में सजा का प्रावधान है। साथ ही बाल अधिकार का हनन भी है।।   भारतीय संविधान में बाल मजदूरी पर लगाम लगाने के लिए कई प्रावधान हैं। उन्होंने संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप भारत का संविधान मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धातों की विभिन्न अनुच्छेदों के बारे में बताया जिसमें 21अनुच्छेद – (6 -14) वर्ष के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार  देता है।

उसी प्रकार अनुच्छेद 24 के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ख़तरनाक कामों में प्रतिबन्ध लगाया गया है। उन्होंने समुदाय एवं परिजनों को संबोधित करते हुए बताया कि बालश्रम के खिलाफ उन्मूलन के समाज को तत्काल आवश्यकता है। इस स्तर पर जिला उपायुक्त के निर्देशानुसार बाल-सुरक्षा तंत्र को विकसित करने के लिये ग्राम स्तर पर बाल संरक्षण समिति बनाई गई है। जिनका उद्येश्य गाँव की देखरेख एवं जरूरतमंद बच्चों की पहचान कर संबंधित अधिकारियों या विभागों को सूचित करने के साथ योजना तैयार कर मामलों को निष्पादित करना है।

इसी संबंध में जिला बाल संरक्षण कार्यालय एवं संस्था सेव् द चिल्ड्रेन द्वारा राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन दिवस पर कुल 58 चयनित जरूरतमंद बच्चों को स्पॉन्सरशिप का लाभ स्पोंशरशिप एवं फॉस्टरकेयर अनुमोदन समिति के स्क्रूटनी के बाद संस्था सेव् द चिल्ड्रेन द्वारा प्रतिमाह 2000 रुपये प्रदान की जाएगी।

इसे लेकर सेव् द चिल्ड्रेन संस्था के कार्यक्रम पदाधिकारी दिव्या तिग्गा ने बताया कि 158 लाभुकों को तीन चरणों में इस कार्यक्रम के तहत जोड़ा जा रहा है, इन सभी जरूरतमंद बच्चों को आर्थिक सहायता प्रदान करने से बाल मजदूरी के लिए हो रहे पलायन में कमी आएगी और वो सबल और सशक्त हो पाएंगे।

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