राष्ट्रमंडल खेल है हरियाणा के पहलवान आशीष का लक्ष्य

आशीष के पिता हरियाणा में सोनीपत जिले के जोशी जाट गाँव में एक किसान थे, अपने गाँव में हर जगह कुश्ती देखते थे और उनका मानना ​​था कि यह एक कठिन, व्यक्तिगत खेल है, जो उनके बेटे के जीवन में अनुशासन ला सकता है। इसलिये 10 वर्ष की आयु में ही उनके पिता ने कुश्ती के खेल से उनका परिचय कराया। यही वजह है कि आज आशीष कुश्ती में एक नया मुकाम हासिल कर चुके हैं, और अब उनकी इच्छा राष्ट्रमंडल खेल में प्रतिभागी बनकर जीत हासिल करना है।

शुरू में खेल के प्रति अनिच्छुक होने पर भी, आशीष को 2017 में कुश्ती में रूचि हो गयी, जब उन्होंने 97 किग्रा वर्ग में सब-जूनियर नेशनल में अपना पहला पदक हासिल किया। उन्होंने कहा, “धीरे-धीरे और लगातार, मैंने पदक जीतना शुरू किया और इसमें बेहतर होता गया। आंध्र प्रदेश में सब-जूनियर नेशनल जीतने के बाद मैंने इसका आनंद लेना शुरू कर दिया। मुझे अपनी कड़ी मेहनत पर गर्व महसूस हुआ और मैंने खेल का आनंद लेना शुरू कर दिया।”

आशीष ने अपने करियर में सफलता प्राप्त करना जारी रखा, क्योंकि उन्होंने उसी श्रेणी में जूनियर नेशनल में तीन और पदक जीते तथा 2021 में, नोएडा में सीनियर नेशनल में, उन्होंने 97 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक प्राप्त किया।

इसके बाद आशीष ने अखिल भारतीय विश्वविद्यालय खेल में स्वर्ण पदक जीता। कर्नाटक के बेंगलुरु में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2021 में रविवार को आशीष ने 97 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती के फाइनल में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के अजय को तकनीकी श्रेष्ठता द्वारा हराकर एक और स्वर्ण पदक हासिल किया।

केआईयूजी 2021 में अपना स्वर्ण पदक प्राप्त करने के बाद उत्साहित आशीष ने कहा, “खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में यह मेरा पहला स्वर्ण पदक है। अब मेरा ध्यान पूरी तरह से कॉमनवेल्थ गेम्स पर है। मैंने यहां प्रतिस्पर्धा के स्तर का आकलन करने और मल्टी-स्पोर्ट इवेंट की तैयारी के लिए हिस्सा लिया था। सीडब्ल्यूजी में चयनित होने के लिए प्रतिस्पर्धा होगी और मैं अब उसी का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं।“

 

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