धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में है पर्यटन की असीम संभावनाएं

उदयराज सिंह

जम्मू-कश्मीर उत्तर भारत का एक ऐसा राज्य है, जहां पर्यटन की संभावनाएं बहुत ही प्रबल हैं। हालांकि कई सालों से चल रहे आतंकवाद के कारण सब कुछ छिन्न-भिन्न हो चुका है। लेकिन बावजूद इसके आज भी इसके पर्यटन स्थल दुनियाभर के लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। इसके तीन क्षेत्रों – जम्मू, लद्दाख और कश्मीर के हजारों पर्यटन स्थल आज भी अपनी शोभा को बरकरार रखे हुए हैं।

इस शहर के निर्माणकर्ता ‘जम्बूलोचन’ के नाम पर इसका नाम पड़ा, जो जम्बू का बिगड़ा हुआ नाम है, लेकिन फिलहाल यह अभी विवाद का विषय है कि इसके निर्माणकर्ता जम्बूलोचन थे या नहीं। संस्कृति, कला तथा ऐतिहासिकता की दृष्टि से भी जम्मू का महत्वपूर्ण स्थान है। यह शहर व्यापार का एक प्रमुख केंद्र भी है।

जम्मू के पर्वत पर्वतारोहण करने वालों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। जम्मू से आगे कश्मीर घाटी की सुरम्य घाटियों में आतंकवादी गतिविधियों के कारण वह फिलहाल पर्यटक सम्बद्ध तो नहीं है लेकिन देशी-विदेशी पर्यटकों का तांता अब एक बार फिर बढ़ता जा रहा है। यह भी याद रखने योग्य बात है कि जम्मू एक जिले, शहर तथा प्रांत का नाम भी है।

जम्मू कब जाएं ?

वैसे तो पर्यटक वर्ष के किसी भी महीने में जम्मू का कार्यक्रम बना सकते हैं, पर बरसात में घूमने-फिरने में होने वाली दिक्कतों के कारण वहां न जाना ही उचित है।

कैसे जाएं ?

वायुमार्ग: अमृतसर, चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई, श्रीनगर तथा लेह से जम्मू के लिए इंडियन एयरलाइंस की सीधी उड़ानें हैं। हवाई अड्डा पुराने शहर से 7 किमी दूर स्थित है।

रेलमार्ग: देश के लगभग सभी प्रमुख प्रमुख शहरों से जम्मू के लिए रेल सेवा उपलब्ध है। कोलकाता, भोपाल, अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई तथा कन्याकुमारी के लिए जम्मू से सीधी रेल सेवाएं हैं।

सड़क मार्ग: राष्ट्रीय राजमार्ग से जम्मू देश के मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है। जम्मू से अन्य प्रमुख शहरों के लिए प्रत्येक मौसम के लिए अच्छी सड़कें उपलब्ध हैं। जम्मू के लिए सीधी बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं।

जम्मू-कश्मीर के मुख्य पर्यटन स्थल

रघुनाथ मंदिर:- विभिन्न मंदिरों के शहर जम्मू में रघुनाथ मंदिर एक भव्य व आकर्षक मंदिर है। महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 में इस मंदिर का निर्माण आरंभ करवाया था और बाद में उनके पुत्र महाराजा रणवीरसिंह ने 1860 में इसे पूरा करवाया था। इस मंदिर की आंतरिक सज्जा में सोने की पत्तियों तथा चद्दरों का प्रयोग किया गया है। इस मंदिर में देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियां दर्शनीय हैं।

अमर महल म्यूजियम: तवी नदी के किनारे पहाड़ी पर स्थित इस अनूठे महल का निर्माण फ्रेंच महल के नमूने पर किया गया है। अब म्यूजियम का रूप धारण कर चुके महल के भीतर शाही परिवार के चित्रों, पहाड़ी चित्रकला तथा पुस्तकालय को देखा जा सकता है, जो दर्शनीय है।

डोगरा आर्ट गैलरी: नए सचिवालय के पास स्थित डोगरा आर्ट गैलरी को अब पुराने सचिवालय में ले जाया गया है, जहां संग्रहालय के अतिरिक्त जम्मू तथा बसोहली की पहाड़ी कला तथा चित्रकला की चीजें संग्रहीत हैं। इनमें बसोहली शैली के आभूषण देखने लायक हैं।

मुबारक मंडी: पुराने सचिवालय का असली नाम मुबारक मंडी है, जो पहले राजाओं का महल हुआ करता था। हालांकि इसके कुछेक भाग गिर चुके हैं लेकिन बचे हुए अधिकांश भाग आज भी अपनी कारीगरी के लिए जाने जाते हैं, जो कला का एक बेजोड़ नमूना हैं।

बाहू किला: शहर से 4 किमी दूर पहाड़ी पर स्थित बाहु किला जम्मू का सबसे पुराना किला है, जो तवी नदी के किनारे स्थित पहाड़ी पर है। राजा बाहुलोचन द्वारा यह किला 3,000 साल पहले बनाया गया था, जो आज भी सही दशा में है। किले के अंदर बने काली मंदिर में मंगलवार तथा रविवार को स्थानीय तीर्थ यात्रियों की भीड़ लगी रहती है।

मानसर एवं सुरिनसर झीलें: जम्मू से लगभग 65 किमी की दूरी पर स्थित मानसर झील पिकनिक के लिए एक आदर्श स्थल है। यहां प्रतिवर्ष अप्रैल के प्रथम सप्ताह में मानसर मेले का आयोजन भी होता है। झील में नौकायन की सुविधा है तथा उसके एक किनारे पुराने महल भी देखे जा सकते हैं, जो अब खंडहर में बदल चुके हैं।

जम्मू शहर से इस जगह जाने के लिए सीधी बस सेवा उपलब्ध है और रात को ठहरने के लिए पर्यटन विभाग का बंगला तथा हट्स भी उपलब्ध हैं। जम्मू से 42 किमी दूरी पर सुरिनसर झील है, जो मानसर जितनी बड़ी तो नहीं लेकिन खूबसूरत पर्यटन स्थल अवश्य है।

हालांकि सुरिनसर जाने के लिए जम्मू से सीधी बस सेवा तो है ही मानसर झील की ओर से रास्ता भी जाता है, जहां से यह पास ही में पड़ती है। वैसे यह कथा भी प्रचलित है कि दोनों झीलों का भूमि के भीतर से संबंध है। रहने को पर्यटक बंगला यहां पर भी उपलब्ध है।

वैष्णोदेवी: भारत का एैसा कोई भी हिन्दू श्रद्धालू नहीं होगा जो वैष्नो देवी के बारे में न जानता हो व अपने जीवन में एक बार वहां जरुर जाना चाहता है। जम्मू आकर वैष्णोदेवी जाने के लिए तीर्थयात्रियों व पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। जम्मू से वैष्णोदेवी की दूरी 42 किमी है तथा बाकी 14 किमी की दूरी पैदल चढ़ाई या खच्चर द्वारा तय करनी पड़ती है।

यहां से क्या खरीदें

जम्मू से पर्यटक खाने की चीजें जैसे बादाम, अखरोट, चेरी, बासमती चावल, राजमा आदि खरीद सकते हैं। इसके अलावा सिल्क के कपड़े, बेंत का सामान तथा कालीन भी खरीदी जा सकती है।  खरीददारी के लिए सरकारी एम्पोरियम, खादी ग्रामोद्योग भवन को ही प्राथमिकता दें।

कश्मीर 

कश्मीर जिसे मुगल बादशाहों ने धरती का स्वर्ग भी कहा था। सालों के आतंकवाद के दौर के उपरांत अब पुनः एक पर्यटन स्थल के रूप में उभरकर सामने आया है। हालांकि इस आतंकवाद के दौर के दौरान पर्यटकों की सुख-सुविधाओं के साधन अपनी आभा खो चुके हैं, लेकिन उन स्थलों की आभा अभी भी बरकरार है, जो देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं।

ललितादित्य मुख्तापिद हिन्दू साम्राज्य का आखिरी सम्राट था जिसने 1339 तक कश्मीर पर शासन किया था जबकि वर्ष 1420 से 70 एडी तक इस पर सम्राट जैन-उल-द्दीन का राज्य रहा था, जो सिर्फ बड़शाह के नाम से ही नहीं जाना जाता था बल्कि वह संस्कृत भाषा का एक स्नातक भी था।

जबकि बादशाह अकबर ने मुगलों के लिए कश्मीर पर कब्जा इसलिए कर लिया, क्योंकि उन्हें श्रीनगर बहुत ही खूबसूरत लगा था तभी तो उन्होंने श्रीनगर शहर में मुगल उद्यानों तथा अनेक मस्जिदों का निर्माण करवाया था। लेकिन मुगलों का शासन भी अधिक देर तक नहीं चला, क्योंकि सिखों के बादशाह महाराजा रणजीत सिंह ने मुगलों को कश्मीर से 1839 में उखाड़ फेंका तो 1846 में डोगरा शासकों ने अमृतसर संधि के तहत 75 लाख रुपयों में खरीद लिया और देश के विभाजन के समय 1947 में जम्मू-कश्मीर एक राज्य के रूप में भारत का एक हिस्सा बन गया।

श्रीनगर

कश्मीर का सबसे बड़ा शहर श्रीनगर है, जो जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी है और अपनी विशिष्टताओं के कारण देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इस शहर की खासियत झरने तथा मुगल शासकों द्वारा बनवाए गए उद्यान हैं, जो चौथी और पांचवी सदी की खूबसूरती को प्रस्तुत करते हैं।

कश्मीर के हृदय में बसा श्रीनगर कस्बा दरिया झेलम के दोनों किनारों पर फैला हुआ है। नगीन और डल जैसी विश्वप्रसिद्ध झीलें श्रीनगर कस्बे की जान कही जा सकती हैं जबकि अपने लुभावने मौसम के कारण श्रीनगर पर्यटकों को सारा वर्ष आकर्षित करता रहता है।

‘राजतरंगिनी’ के लेखक कल्हण का कहना है कि ‘श्रीनगरी’ की स्थापना महाराजा अशोक ने तीसरी सदी बीसी में की थी जबकि वर्तमान के श्रीनगर शहर का निर्माण परावरशना द्वितीय तथा हून तसेंग ने 631 एडी में उस समय किया था, जब उन्होंने इस शहर का दौरा किया था।

आज कश्मीर का सबसे खूबसूरत शहर श्रीनगर विश्वभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, जो 103.93 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला हुआ और समुद्र तल से 1730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

श्रीनगर में क्या देखें ?

हजरत बल दरगाह: यह दरगाह डल झील के पश्चिमी किनारे पर निशात बाग के बिलकुल सामने शहर से 9 किमी की दूरी पर है। एक ओर झील तथा दूसरी ओर पर्वत श्रृंखला होने के कारण यह बहुत ही खूबसूरत दृश्य पेश करती है।

शंकराचार्य मंदिर: यह मंदिर शहर से एक हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। जिस पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है उसे तख्त-ए-सुलेमान के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा अशोक के बेटे जलुका ने 200 बीसी में करवाया था।

डल झील: शहर के बीच में ही स्थित विश्वप्रसिद्ध डल झील शहर के पूर्व में स्थित है और श्रीधरा पर्वत के चरणों में है। वर्तमान में डल झील का क्षेत्रफल 12 वर्ग किमी रह गया है जबकि कभी यह 28 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में हुआ करता। इसके बीच में अनेक द्वीप भी स्थित हैं, जो अपने आप में खूबसूरती के केंद्र हैं।

गुलमर्ग: विश्व के प्रसिद्ध हिल स्टेशनों में यह एक माना जाता है। अगर सोनामार्ग को सोने की घाटी कहा जाता है तो इसे फूलों की घाटी कहा जा सकता है और यहीं पर देश के सर्दियों की खेलें होती हैं, क्योंकि यह अपनी बर्फ के लिए भी प्रसिद्ध है। हालांकि पूरे वर्ष आप यहां जा सकते हैं लेकिन अक्टूबर से मार्च का मौसम सबसे बढ़िया रहता है।

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