महिलाओं में एनीमिया का होना एक आम समस्या है।

30 की उम्र पार करती अधिकांश महिलाओं में शारीरिक क्षमता कम होने लगती है। इसकी एक वजह एनीमिया भी हो सकती है। दरअसल, महिलाओं में एनीमिया का होना एक आम समस्या है। इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. लीना श्रीधर कहती हैं कि बचपन से युवावस्था में कदम रखती लड़कियों में जब खून की कमी की समस्या शुरू हो जाती है।  उसी समय हमें इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।

खून की कमी के कारण कई सारी कम्यूनिकेबल डिजिज जैसे-खांसी, कोविड, लूज मोशंस आदि होते हैं। अगर युवावस्था में इसे दूर नहीं किया गया तो शादी के बाद गर्भावस्था के दौरान भी खून की कमी चलती रहती है।

एनीमिक महिलाओं की प्रसव पर भी खतरा होता है। इस दौरान एनीमिक महिला बीपी की शिकार हो सकती है, उसका बच्चा कमजोर हो सकता है।  समय से पूर्व प्रसव होना भी समस्या है।

महिलाओं में विटामीन डी की कमी भी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है।

इसके साथ ही महिलाओं में विटामीन डी की कमी भी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है।

भारत में लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं में विटामिन डी की कमी पाई जाती है। अगर वह समय पर इसकी जांच करा लें तो इसे सही किया जा सकता है। बच्चों के जन्म के बाद जब महिलाएं धीरे-धीरे उम्र के पड़ाव पार करने लगती हैं, और 40-50 के बीच मेनोपॉज से गुजरती हैं, उस वक्त फिर उनमें विटामिन डी एवं कैल्शियम की कमी होने लगती है।

इस दौरान, डायबिटीज, हाइपर टेंशन, हृदय रोग, बोन ऑस्टियोपोरोसिस( जोड़ों में दर्द होना) आदि समस्याएं आने लग जाती हैं। महिलाओं के लिये यह समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। खासकर कामकाजी महिलाएं इस उम्र में अपने कैरियर की ऊंचाई छू रही होती हैं। वह मेनोपॉज के दौरान डिप्रेशन(अवसाद) में जाने लगती हैं, क्योंकि इस दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं।

डॉक्टर कहती हैं कि इस समय अपना चेकअप कराना चाहिये। यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि आप यह सोचकर सहन करें कि यह मेनोपॉज का वक्त है तो ऐसा होगा। जबकि इसके लिये कई नॉन हार्मोनल मेडिसीन हैं जो मेनोपॉज की चुनौतियों से निपटने में मदद करती हैं।

डॉ. श्रीधर सभी महिलाओं को यह सलाह देती हैं कि साल में एक बार वह अपनी पूरी जांच जरूर कराएं, जिससे वह किसी भी बीमारी के बड़े रूप लेने से पहले ही उसका इलाज संभव हो सके।

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