हमने दिए
शुद्ध घी दूध ,
स्वच्छ पर्यावरण ,
निर्मित जल ,
रमणीया प्रकृति ,
हरे भरे खेत ,
अन्न व फल ,
अप्रदूषित चाँद ,
सूरज , तारे ,
आकाश बादल।
निश्छलता ,
पवित्रता ,
सादगी ,
इमानदारी के
प्रर्याय ढूढ़ने
तुम्हें नहीं उलटना पड़ा
कोई शब्दकोष।
बस हमारा नाम ही
प्रर्याप्त था।
तुमने हमारी
भरपूर प्रशंसा की ,
साहित्य में
उच्च स्थान भी दिया।
पर तभी तक
जब तक हम
तुमसे ,
दूर
बहुत दूर रहे।
ज्यों ही तुम्हारे करीब
सटकर बैठना चाहे
तो तुम्हारी
सारी किताबी प्रशंसा
तिरोहित हो गई।
और तुमने हमें
नाम दिया ,
देहाती , गवाँर
उजड्ड , भद्दा ,
खुरदरा , मोटा —
हम तब भी प्रसन्न थे ,
क्योंकि तुमने सत्य कहा था ,
पर दुख इसलिए है
कि ये सभी विशेषण
निम्न कब से हुए ?
https://youtube.com/@vikalpmimansa
https://www.facebook.com/share/1BrB1YsqqF/