चिन्मय दत्ता, चाईबासा।
सर चिरावूरी यज्ञेश्वर चिंतामणि स्वतंत्रता पूर्व भारत के प्रतिष्ठित सम्पादकों में से एक थे। पत्रकारिता के साथ ही यह राजनीतिज्ञ और 20वीं सदी के शुरूआती सांसद थे। इनका जन्म तेलुगू नव वर्ष के दिन 10 अप्रैल 1880 आंध्र प्रदेश की विजयनगरम् में हुआ था। इन्हें प्रसिद्ध भारतीय राजनेता वी.एस. श्रीनिवास शास्त्री द्वारा ‘भारतीय पत्रकारिता का पोप’ कहा जाता था। अपनी किशोरावस्था में इन्होंने फोर्ट सिटी से प्रकाशित होने वाले अंग्रेजी साप्ताहिक ‘द तेलुगू हार्प’ में योगदान दिया।
18 साल की उम्र में वे ‘विजाग स्पेक्टेटर’ अखबार के सम्पादक बने। इन्होंने अंततः अखबार खरीदा और इसका नाम बदलकर ‘इंडियन हेराल्ड’ कर दिया। इन्होंने जी. सुब्रमण्यम् अय्यर के सम्पादन में ‘मद्रास स्टैंडर्ड’ के साथ भी काम किया। ये 1901 से 1934 के बीच इलाहाबाद में ‘द लीडर’ के मुख्य सम्पादक थे। इसके साथ ही यह इलाहाबाद से प्रकाशित ‘द इंडियन पीपुल’ और पटना से प्रकाशित ‘हिन्दुस्तान रिव्यू’ के सम्पादक भी थे।
यज्ञेश्वर चिंतामणि केवल सम्पादक ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी थे। भारत सरकार अधिनियम 1919 की द्वैध शासन योजना के एक भाग के रूप में चिंतामणि को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत के शिक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था।
1930 से 1931 में इन्हें लंदन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन में प्रतिनिधि के रूप में आमंत्रित किया गया था। महात्मा गांधी, ब्रिटिश प्रशासक और भारतीय लोग उनके सम्पादकीय से बहुत प्रेरित थे। 1939 के बर्थडे ऑनर्स लिस्ट में उन्हें नाइट की उपाधि दी गई थी।
यह महत्वपूर्ण जानकारी पाठक मंच के सप्ताहिक कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 720वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में दी गई।