चिन्मय दत्ता।
युगों से हम नवरात्रि, राम नवमी और विजया दशमी का पर्व मना रहे हैं। नवरात्रि माँ दुर्गा से संबंधित है, जबकि राम नवमी और विजया दशमी का संबंध भगवान राम से है। राम नवमी हो या विजया दशमी, साथ में नवरात्रि अवश्य होते हैं।
दुर्गा पूजा भारत की सनातन संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व है। मां दुर्गा ने असुरों और महासुरों का वध किया था, जिनसे तीनों लोक भयभीत और परास्त थे। राम ने त्रिलोक विजयी रावण का वध कर अत्याचार और अन्याय की लंबी परंपरा को नष्ट किया था। दुर्गा पूर्ववर्ती है, राम परवर्ती। दोनों ने असुरों और महासुरों का वध किया, दोनों दिव्य शक्ति संपन्न हैं। राम ने माँ दुर्गा की उपासना से शक्ति प्राप्त कर, दुर्गा से विजय वर मांग लिया था।
पौराणिक युग में महिषासुर के वध के बाद देवताओं ने माँ दुर्गा की पूजा कर शारदीय नवरात्रि का सूत्रपात किया था। त्रेतायुग में रावण पर विजय पाने के लिए राम ने माँ दुर्गा की पूजा कर वासंतिक नवरात्रि की सूत्रपात की। इस पूजा में नवमी के दिन स्वयं राम का जन्मदिन था। संयोगवश इस पूजा का यज्ञ स्वयं रावण ने संपन्न कर, राम को विजयश्री का आशीर्वाद दिया था और राम की सेना ने जय-जय कार कर लंका पर चढ़ाई की थी।
उस स्मृति में राम नवमी की झाँकी की परम्परा है। कालांतर में राम-रावण का संघर्ष चलता रहा और शारदीय नवरात्रि के विजया दशमी के दिन राम ने रावण का वध किया था, उसी की याद में विजया दशमी पर रावण दहन की परम्परा है। इसी क्रम में रावण का वध कर भगवान राम मां सीता की अग्नि परीक्षा और विभीषण का राज्याभिषेक के पश्चात अयोध्या लौटे थे, उस स्मृति में दीपावली की परम्परा है।