टूटे दिल की कविता ; टूटे हुए सपनों की खामोश कहानी

मीमांसा डेस्क।

टूटे हुए सपनों की खामोश कहानी
आँखों में छुपी रह गई बेनाम निशानी

वो वादे , वो कसमें सब बिखर गए ,
लम्हों की यादों में पत्थर बने रह गए।

दिल ने चाहा था सच्चा साथ पाना ,
मगर नसीब में लिखा था बिछड़ जाना।

अब तो धड़कन  भी मेरी सवाल करती है ,
क्यों मोहब्बत इतनी बेवफा निकलती है ?

 

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