लाखों परिवार अपने ही घरों में कैद,
भीषण बाढ़ विभीषिका झेलते खेद।
जीवन ‘अस्तित्व’ की लड़ाई में दिखा,
देश के अन्नदाता की हैं यह भूमिका।
इस घड़ी में जरूरी सभी हो एकजुट,
त्राहि-त्राहि करते रहें दम रहा हैं घुट।
आमजन अपने स्तर पे सहयोग करें,
सरकारी मशीनरी इसका ध्यान धरे।
समाजसेवी राहत कार्य में जुट चुके,
बॉलीवुडी मददगार हाथ खुल सकें।
सहयोग मानवीय संवेदनाएँ प्रतीक,
जन-जन आंसू पोंछे जवाब सटीक।
(संदर्भ-पंजाब में भीषण बाढ़ विभीषिका)
संजय एम तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)
इन्दौर-452011 (मध्य प्रदेश)