बैठिए पास मेरे करीब आइए
इस तरह दूर रहके न तरसाइए।
देखिये कब से फैली है बाँहे मेरी
इनके घेरे में पल भर ही मुस्काइए।
शुष्क मरूभूमि सीने से लग के मेरे
बूंदियां स्वाति की इस पे बरसाइए।
बात चाहे कोई कीजिए या नहीं
करके नीची नजर यूँ न शरमाइए।
जाइए अपनी मर्जी से , दिल में मेरे –
किन्तु छोटी जगह एक बना जाइए।
उपयुक्त गजल स्वर्गीय बी एन झा द्वारा लिखित पुस्तक इन्द्रधनुष से ली गई है ।
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