गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।
इसी तरह कबीरदास जी ने भी गुरु की महत्ता का वर्णन करते हुए कहा है -गुरु गोविन्द दोउ खड़े काके लागूँ पाय ,
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय। ,
हमारे शास्त्रों में गुरु को सबसे ऊपर रखा गया है। गुरू अर्थात शिक्षक का तात्पर्य उस शख्स से है जो अपने ज्ञान के प्रकाश से विद्यार्थी की अज्ञानता को दूर कर देते हैं। अशिष्ट को शिष्ट , असफल को सफल , और गुमराह को सही रास्ता दिखलाने में ही शिक्षक का अर्थ समाहित है।इसलिये शिक्षकों का सम्मान सर्वथा ही किया जाता है ।
विश्व के विभिन्न देशों में शिक्षकों के सम्मान में अलग – अलग तिथियों में शिक्षक दिवस का आयोजन किया जाता है। इसी संदर्भ में विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है। भारत में भी हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। दरअसल, 5 सितंबर देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन है जिसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी ड़ॉक्टर राधाकृष्णन एक महान शिक्षाविद् एवं महान दार्शनिक थे। उन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष शिक्षक के रूप में व्यतीत किये।
अपने शिष्यों के साथ उनके संबंध काफी मैत्रीपूर्ण रहे। वह गुरु और शिष्य के बीच किसी संकोच की जगह नहीं रखते थे।यही कारण था कि शिष्य उनसे बहुत स्नेह रखते एवं उनका सम्मान करते थे। डॉ राधाकृष्णन विभिन्न पदों पर रहते हुए भी शिक्षा के क्षेत्र में अपना खास योगदान देते रहे।
उनके अनुसार यदि शिक्षा सही प्रकार से दी जाए तो समाज से अनेक बुराइयों को मिटाया जा सकता है। वर्तमान परिपेक्ष्य में देखा जाए तो डॉक्टर राधाकृष्णन की ये दूरदर्शिता एवं उनकी गूढ़ बातों का महत्व समझने की बेहद जरूरत है। आज अज्ञानता और भटकाव के चलते ही विश्व के लोग तमाम तरह की बुराईयों से जूझ रहे हैं।
आजादी एवं हक प्राप्ति के लिए आतंक का दामन पकड़ने वालों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे उन्होंने अपने जीवन में शिक्षक का बहुत अभाव देखा है। यही कारण है कि मनुष्य कहीं जाति तो कहीं धर्म के नाम पर एक दूसरे का दुश्मन नजर आने लगा है। आज विश्व के अधिकतर देश , आतंक, विद्रोह जैसी अनेकों बुराईयों से ग्रसित है। ऐसे में ज़रूरत है सच्चे मार्गदर्शक की ,और वो मार्गदर्शक शिक्षक ही हैं जो स्कूली शिक्षा के दौरान बच्चों के कोमल एवं साफ मन में सदगुण व सदाचार के बीच होने का कार्य कर सकते हैं।
सही शिक्षा हासिल कर कैसे कोई भ्रमित ,सच्चे ज्ञान को हासिल कर जीवन के मूल मंत्र को आत्मसात करता है डाकू अगुँली माल की कहानी भी उन्हें उदाहरण में से एक है। आज के परिपेक्ष्य में भी ऐसे शिक्षक की ही तलाश है जो समाज में भटके लोगों के लिए सच्चे मार्गदर्शक बन सकें । शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों एवं शिष्यों को बहुत बहुत बधाई एवं एक बेहतर समाज के निर्माण में अग्रसर होने के लिये अतिरेक शुकामनाएं।