पूजा पपनेजा।
भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ और ‘सिद्धिविनायक’ कहा जाता है, और उनकी पूजा विशेष रूप से मोदक और लड्डुओं के बिना अधूरी मानी जाती है। इसलिए गणेश पूजन के समय भक्त ज्यादातर उन्हें मोदक व लड्डू का भोग लगाते है। इसके पीछे की खास कहानियाँ क्या है उसके बारे में हम आपसे चर्चा करते है।
- लड्डू से जुड़ी हुई कुछ रोचक कहानियाँ
- एक बार की बात है, देवताओं ने भगवान गणेश को ‘विद्या, बुद्धि और ऐश्वर्य’ का प्रतीक मानकर उन्हें आदर सहित एक स्वर्ण थाली में भरकर हजारों व्यंजन परोसे.थे। तब भगवान गणेश जी ने उस समय सिर्फ एक ही चीज को हाथ लगाया था वह थे , मोदक जिसे देखकर सभी देवता आश्चर्य में पड़ गए।
- तब माता पार्वती ने बताया कि मोदक में सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि श्रद्धा, प्रेम और ज्ञान का प्रतीक भी समाया है । पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान गणेश जी ने अपनी माता से कहा था, जो भी मुझे सच्चे मन से लड्डू अर्पित करेगा, उस व्यक्ति के जीवन में बुद्धि, समृद्धि और संतुलन बना रहेगा।
- इसके अलावा दूसरी कथा के अनुसार जब भगवान गणेश जी ने अपने माता-पिता शिव-पार्वती की तीन बार परिक्रमा कर उन्हें सम्पूर्ण ब्रह्मांड मान लिया, था , तब उस समय प्रसन्न होकर माता पार्वती जी ने भगवान गणेश को एक विशेष मोदक दिया , जो ज्ञान, विवेक और अमरता का प्रतीक था. तभी से गणेश जी को मोदक और लड्डू अत्यंत प्रिय हो गए. इसलिए जब भी गणेश जी को लड्डू अर्पित किए जाते हैं, वो केवल मिठाई नहीं, है बल्कि हमारी श्रद्धा, भक्ति और ज्ञान का प्रसाद होते है।
- पौराणिक कथा के अनुसार एक बार गणेश जी की भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी से लड़ाई हो गई थी। इस दौरान गणेश जी का दांत टूट गया था। उन्हें बहुत दर्द हो रहा था और वे कुछ खा भी नहीं पा रहे थे। तब माता पार्वती ने उन्हें लड्डू खिलाया। ये इतना नरम था कि भगवान गणेश के मुंह में जाते ही घुल गया था। बस तभी से भगवान गजानन को मोतीचूर के लड्डू अर्पित किए जाने लगे।
- वहीं पौराणिक कथा के अनुसार यह भी कहा जाता है कि एक बार धन के देवता भगवान कुबेर ने अपने धन का प्रदर्शन करने के लिए गणेश जी को अपने घर पर आमंत्रित किया था। तब भगवान गणेश जी को दौलत का नहीं, बल्कि स्वादिष्ट भोजन का बड़ा शौक था। तब उस समय कुबेर के घर खाना कम पड़ गया था , लेकिन भगवान गणेश जी की भूख खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। खाना खत्म होने के बाद भगवान गणेश ने कुबेर की रसोई में रखा कच्चा खाना और सोने के बर्तन खाने शुरू कर दिए,लेकिन तब भी भगवान गणेश की भूख शांत नहीं हुई।
- फिर उसके बाद कुबेर परेशान हो गए उन्हें अपनी भूल का एहसास हुआ वह घबराकर भगवान शिव जी के पास गये और भगवान शिव से कहा कि मैं अपने कर्म से शर्मिंदा हूँ और मैं समझ गया हूँ मेरा अभिमान आपके आगे कुछ नहीं है , उसके बाद तब भगवान गणेश जी अपने घर लौटे। इस तरह भगवान गणेश ने कुबेर के अभिमान को तोड़ा।
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