स्त्री रोग ; पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम की बढ़ती समस्या

                   


डॉ. सुनीता राणा [स्त्री रोग विशेषज्ञ ]

आजकल कई लड़कियां एवं महिलाएं जिनकी उम्र 18 से 44 वर्ष के बीच हैं ,अपनी अनियमित माहवारी या भारी माहवारी, गर्भ नहीं धारण करने की असमर्थता , पुरुषों की तरह सिर से बाल के गायब होने की समस्या, सिर गर्दन व जांघों पर गहरे पैच बनने की समस्या आदि को लेकर डॉक्टर से सलाह ले रही हैं। इसके अलावा, ये रोगी निकट भविष्य में संबंधित मोटापा, मधुमेह , ह्र्दय रोग हाइपोथायराडिज़्म , ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया , गर्भाशय और डिम्बग्रंथि के कैंसर का विकास भी कर सकते हैं । आइए सबसे पहले हम इसके होने वाले कारकों के बारे में जानते हैं ।

आमतौर पर पीसीओएस [पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम ] खराब जीन , गलत जीवनशैली जैसे जंक फूड का अत्यधिक सेवन , शारीरिक गतिविधियों का नहीं होना , अत्यधिक मानसिक तनाव , पर्यावरण में व्याप्त विषाक्त पदार्थो एवं कुछ दवाओं आदि के परिणाम स्वरुप होता है। यह कारक न केवल प्रजनन प्रणाली ,बल्कि यकृत [लिवर] , अग्न्याशय [पेन्क्रियाज ] , पिट्यूटरी , थायरॉइड एवं हृदय को शामिल करते हुए शरीर के क्रिया विज्ञान का प्रभावित करते हैं। हाईपोथैलेमस अत्यधिक गोनाडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन का उत्पादन शुरू कर देता है – जीएनआरएच और अग्न्याशय इंसुलिन के लिए ऊत्तक प्रतिरोध के कारण अत्यधिक इंसुलिन का उत्पादन करना शुरू कर देता है। अत्यधिक जीएनआरएच और अत्यधिक इंसुलिन अग्रवर्ती पीयूष ग्रंथी द्वारा ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाते हैं।

ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन [एलएच ]का उच्च स्तर अंडाशय को अत्यधिक टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन करने के लिए उत्तेजित करता है । अत्यधिक टेस्टोस्टेरोन डिम्बग्रंथि के रोम और ओव्यूलेशन की परिपक़्वता में हस्तक्षेप करता है। अनियंत्रित डिम्बग्रंथि कूप द्रव से भरता रहता है और इस प्रकार आकार में बढ़ता रहता है, जिसके परिणामस्वरुप अंततः कई डिम्बग्रंथि के सिस्ट – पीसीओएस का विकास होता है।

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के होने के कारण, एवं उसके बचाव के लिये उपर्युक्त चर्चा के आधार पर इसके प्रबंधन की योजना बनाई जा सकती है और इसे निम्न अनुसार क्रियान्वित किया जा सकता है ।

स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें जैसे

  •  घर पर बना सादा खाना खायें, कम मात्रा में सरसों के तेल और गाय के घी का प्रयोग करें।
  •  ज्वार, छोले , रागी , बाजरा , को दो जैसे कई अनाजों का उपयोग करें। यह गेहूं और चावल की तुलना में काफी पौष्टिक होने के साथ-साथ फाइबर से भरपूर होते हैं।    
  • इन्हें मौसम के अनुसार गेहूं के साथ मिलाया जा सकता है। इनमें से कई आपके नियमित इस्तेमाल किये जाने वाले गेहूं और चावल की तुलना में काफी सस्ते हैं। धुली हुई  नहीं  साबुत दाल का प्रयोग करें।
  • मौसम के अनुसार रोजाना 3 अलग – अलग रंग की सब्जियां और फल का सेवन करें ।
    ध्यान रहें कि मौसमी फलों और सब्जियों को ही शामिल करें।
  •  योग ,प्राणायाम , टहलने दौड़ने कूदने , और यहां तक कि नृत्य करने की आदत डालें।

  याद रखें , उम्र और व्यक्ति की पसंद के अनुसार हार्मोन को संतुलित करने , वसा चयापचय में सुधार करने और 18 से 23 के बीच बीएमआई बनाए रखने के लिए रोजाना 1 घंटे के लिए अभ्यास किया जाना आवश्यक है।

मानसिक धर्म के दौरान क्या करें और क्या न करें इसका पालन करें । हालांकि यह थोड़ा कठिन है , लेकिन काफी फायदेमंद है। अधिकतम आराम , सीमित मात्रा और गुणवत्तापूर्ण भोजन का सेवन और सादगी पहले तीन दिनों के दौरान पालन किए जाने वाले सिद्धांत है।

  •    दिन में सोना नहीं है ।

      देर रात तक जागना भी शरीर के लिए चयापचय में गड़बड़ी का कारण बनता है जिससे वजन बढ़ना , मधुमेह और हृदय रोग होते हैं।
   

अंत में पीसीओएस की समस्या होने पर डॉक्टर से मिले लेकिन डॉक्टर से मदद लेने के साथ यह जरूरी है की डॉक्टरी  सलाह के साथ पीड़ित खुद स्वयं की मदद भी करे। अपने भोजन और शारीरिक गतिविधि को संतुलित करके हार्मोन्स का सांमजस्य    स्थापित करे।

नोट ; – रातों-रात प्रणाम की अपेक्षा न करें ।  यह एक लम्बे समय तक अनुपालन करने वाली प्रक्रिया है।

 

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