कृष्ण पक्ष


लुत्फे – शिकस्त इश्क में पाया जो इस कदर।
जी चाहता है , हारता रह जाऊं उम्र भर।

चाहा था जख़्म और दिया साथ नसीबाँ।
फूलों को उसने पेश किए फेंक फेंक कर।

कहते वो गर्म साँस की तासीर बड़ी है।
कहता मैं सर्द – आह से है आप बेखबर।

नजरें मेरी कुर्बान अमावस पे क्यों रही ?
मनती न दिवाली कोई पूनम की रात पर।

काँटो की राह पर चला हूँ शौक से अब तक
खुशबू न ये फूलों की जो भटकाए दरबदर।

आते हो पास तुम नहीं कहते वो हमेशा।
ऐसे ढकेलते हैं दूर मुझको बराबर।

उपयुक्त पक्तियां इन्द्रधनुष पुस्तक बी एन झा द्वारा द्वारा लिखी गई हैं।