शब्दों के जाल तथा
वाक्यों के ताने बाने से
प्रेम का प्रदर्शन कर
मग्न हो नाचते हो
पर जितना जोर से
चिल्ला चिल्लाकर
आलाप कर रहे हो
उतना ही निकल रहा है
अप्रेम का बेसुरा राग।
शब्द की उपस्थिति
प्रेम का अभाव है।
अपने गले को
खराब मत करो।
चुप होना सीख लो।
उसे उतरने की जगह दो।
बिना किसी को कहे
बिना कोई आवाज किए
चुपचाप वह उतरेगा।
आत्मा की अतल गहराई में।
निःशब्द पर आरूढ़
आराम से वह
यात्रा कर लेगा पूरी
और अपनी उपस्थिति का
सकेंत दे जाएगा
कभी आँखों को हँसाकर।
कभी आँसू छलकाकर।
उपयुक्त पक्तियां इन्द्रधनुष पुस्तक बी एन झा द्वारा द्वारा लिखी गई हैं।
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