शब्द हैं बेप्राण इनको मत बुलाइए
मौन की आवाज पर चढ़ पास आइए।
शर्म का काजल लगातार आप अपने नैन में
अधखिली कलियों सी पलकें खोल जाइए।
प्रेम की मेहंदी रचाकर आप कोमल हाथ में
तलहथों में बंदकर मुझको छिपाइए।
आपकी आँखें हैं काफी दर्द कहने के लिए
बोलिए कुछ भी नहीं बस मुस्कुराइए।
डालकर मुझपर घनेरे गेसुओं की शाम को
भर मुझे बाँहो में सीने से लगाइए।
आपको अलपलक निहारुँ मैं समय के पार तक
अब न होंगे दृष्टि से ओझल कसम ये खाइए
उपयुक्त पक्तियां इन्द्रधनुष पुस्तक बी एन झा द्वारा द्वारा लिखी गई हैं।