समाज का व्यवहार

 

उम्र लग जाती है शोरहत कमाने में ,
वक्त लगता नहीं इज्जत गंवाने में —

लात मारने वाले बहुत मिलेंगे ,
जो भूखे को खिला दे ,

बहुत कम हैं इस जमाने में  —
किसी को किसी की फिक्र अब रही कहाँ ,

सब तो लगे हैं ,
सिर्फ दौलत कमाने में —

ईष्या – द्वेष के भाव से ,
भरे पड़े हैं सब ,

लगे हैं सब यहाँ ,
एक – दूसरे को जलाने में —

स्वच्छता के नाम पर
सब कर रहे हैं ढोंग ,

सब लगे है , अखबार में फोटो छपाने में —
जाति – मजहब का पहन के चोला ,

सब लगे है एक – दूजे को लड़ाने में —
सरहद पर शहीद हो रहे ,

न जाने कितने सपूत —
और नेता लगे हैं ,
अपनी कुर्सी बचाने में।

उपयुक्त पक्तियां पायल के द्वारा लिखी गई है।