मीमांसा डेस्क।
दिल क्यों तुझे न चाहते हुए भी बार – बार याद करना चाहता है ?
मै नहीं जानती,
क्यों कई ना कई मेरा मन तेरा बार – बार जिक्र करना चाहता है।
कई ना कई अब तेरे ही ख्यालों में मेरा मन सदा गुम रहना चाहता है।
दिल को अब शिकवा नहीं है तुझसे
अब बस मेरा मन तेरा ही ख्याल करना चाहता है।
कई ना कई अब मेरा मन तेरी ही यादों में जिंदा रहना चाहता है।