तेरा मेरा रिश्ता सदियों पुराना , माने न माने जमाना
ढूंढ रहे तुझे बेकल नैना , राज ये कोई न जाना
चन्दा मेरे साथ में रोए , तारे सारी रात न सोए
जैसे जुदा तुम मुझसे हुए हो , ऐसे किसी का प्यार न खोए
ठण्डी हवा के पागल झोकें , रटते हैं , बस नाम तुम्हारा
रूठ गये तुम ऐसे साजन , बादल से ज्यों रूठे सावन
नयन गगरियाँ पल पल छलके , थम सी रही सांसो की सरगम ,
खत्म हुआ है तुम बिन जीवन आज ये मैंने जाना।
कटते हैं ये दिन गिन – गिन के , अखियाँ देखे सपने मिलन के
कैसे तेरा नाम पुकारूं , हर पर मैं अब राह निहारूं
ये जग बैरी प्यार का साजन , सुन न ले ये नाम तुम्हारा
उपयुक्त पंक्तियां रजनी सैनी सहर की लिखित पुस्तक परिधि से पहचान तक से ली गई है।