पुरूषों में बीपीएच

उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति में कई तरह की शारीरिक समस्या उत्पन्न होने लगती हैं। इनमें बड़ी और जानलेवा बीमारी के अलावा ऐसे विकार भी होते हैं , जो खतरनाक नहीं होने पर भी व्यक्ति के दैनिक जीवन को प्रभावित करते हैं। कई बार इस पर ध्यान नहीं देने पर यह बड़ी समस्या बन जाते हैं। विशेषरूप से पुरूषों में होने वाला बीपीएच यानि बेनाइल प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया एक ऐसा ही विकार है , जो प्रोटेस्ट के बढ़ने पर उत्पन्न होता है।
प्रोटेस्ट यानि पुरुषों में होने वाली ग्रंथी जो पेशाब की नली के चारों और अवस्थित रहती है , जो उम्र के साथ बढ़ती जाती है। ज्यादातर 50 से 60 वर्ष की उम्र वाले व्यक्ति में यह समस्या नज़र आती है और उम्र बढ़ने के साथ बुजुर्गों में और अधिक देखी जाती है। इसके लक्षण की बात करें तो बार – बार पेशाब लगना , पेशाब को रोक नहीं पाना , पेशाब की कमज़ोर धार होना या रूक रूककर पेशाब आना , पेशाब करने के बाद भी उसकी अनूभूति होना, पेशाब में खून का आना या पेशाब में सक्रमण होना है। विशेषज्ञ के अनुसार बढ़ती उम्र के साथ पुरुषों में होने वाला बीपीएच यानि बेनाइन प्रोटेस्टिक हाइपरप्लेसिया की समस्या काफी देखी जाती है , मगर यह जानलेवा नहीं है। हालांकि इसके लक्षण , व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को काफी प्रभावित कर सकते हैं, और कई बार ध्यान नहीं देने पर यह समस्या काफी बढ़ जाती है और सर्जरी की आवश्यकता होती है।
डॉ. सलाह देते हुए कहते हैं कि अगर आपकी उम्र 50 से 60 वर्ष के बीच है और आपको ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है तो सकता है कि आप बीपीएच जैसे विकार का सामना कर रहे हैं। ऐसे में आप किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। इसके लिये पेशाब की जांच के लिये अल्ट्रासाउंड और अन्य सबंधित पड़ताल की जाती है , जिसमें पता लगाया जाता है कि व्यक्ति का प्रोटेस्ट बढ़ा है या नहीं।
टीयूआरपी एक कम तकलीफदेह सर्जरी है , बढ़े हुए प्रोटेस्ट को कम करने के लिये की जाती है , इस सर्जरी में मूत्रमार्ग से प्रोटेस्ट के बढ़े हुए हिस्से को निकाला जाता है। बीपीएच के इलाज के लिये इसे सबसे प्रभावी माना जाता है। प्रोटेस्ट बढ़ने की स्थिति के अनुसार इसका इलाज दवा के द्वारा या सर्जरी के द्वारा किया जाता है। इसलिये यह बहुत आवश्यक है कि अगर किसी व्यक्ति को ऐसी परेशानी की अनुभूति हो रही हो तो उसे नज़रअंदाज़ न करें बल्कि शुरुवात में ही डॉक्टर से संपर्क करें , जिससे दवा के द्वारा ही उसका इलाज किया जा सके। कई बार बढ़े हुए प्रोटेस्ट की स्थिति को देखते हुए सर्जरी ही एकमात्र इलाज है , जिसमें टीयूआरपी एक प्रचलित सर्जरी है।

इसके अलावा अपने जीवनशैली में बदलाव एव अच्छे खान – पान के साथ नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराने की आवश्यकता है। इसके साथ ही बीपीएच की समस्या के निदान के लिये डॉक्टर से मिलकर अपनी परेशानी के बारे में खुलकर बात करने की ज़रूरत होती है।