ये तेरी जोशे जवानी , उम्र भर न देगी साथ ,

ये तेरी जोशे जवानी , उम्र भर न देगी साथ ,
एक दिन शानएगुरुर , खाक में मिल जाएगा।
न सितम कर तू किसी पर सब खुदा पर छोड़ दे
तेरा कुछ अच्छा किया , कल तेरे ही काम आयेगा।
कुछ अगर हासिल न हो तो , लेने से देना भला
नेक नीयत होगी गर , सब आप ही मिल जाएगा।
क्या हुआ जो तू अकेला बढ़ा चला मन्जिल की ओर
गम न कर ये हौसला कल काफिला बन जाएगा।
तूने दी है , बुझती आँखों में , दीयों की रोशनी ,
कोई जुगनू बन के , सूनी रातों में मिल जाएगा।

उपयुक्त पंक्तियां रजनी सैनी सहर की लिखित पुस्तक परिधि से पहचान तक से ली गई है।