पूजा पपनेजा।
यह कहानी प्रियंका गुप्ता(परिवर्तित नाम) की है उसकी उम्र 29 साल है। वह दिल्ली मे सुभाष नगर की रहने वाली है। वैसे तो वह अपने माता पिता की एक अकेली पुत्री थी। बहुत छोटी सी उम्र मे ही उसके माता पिता का स्वर्गवास हो गया था, जिसे झेलना उसके लिए आसान नहीं था ।
माता पिता के दुनिया से चले जाने के बाद उसकी ज़िन्दगी पूरी तरह से बदल गई थी, लेकिन उस लड़की ने हिम्मत की और सबसे पहले खुद को इस दर्द से निकाला। उसके बाद उसने खुद के लिए रास्ते बनाने शुरू क़िये । इसके लिये उसने सबसे पहले अपनी पढ़ाई को पूरा करने का फैसला किया।
उसके सामने दूसरी समस्या यह थी कि उसे पढ़ाई करने के लिए पैसो की ज़रूरत थी, जिसके लिये उसने छोटी-छोटी जगहों पर नौकरी (सबसे पहली नौकरी एक छोटी सी फैक्ट्री मे की) करना शुरू किया।
दिन भर नौकरी करने के बाद घर लैटकर पढ़ाई भी करती थी। यह सारे काम वह खूब मेहनत से करती, अकेले सारी मुसीबतों का सामना करती थी, क्योंकि उसका साथ देने और कोई नहीं था।
खूब सारी मेहनत और सपनों के सफर पर चलने के साथ ही वह नौकरी मे कमाए पैसो से गरीब लोगों की मदद भी करती थी। समय के आगे बढ़ने और मेहनत के बाद आज वह एक बहुत अच्छी जगह पर नौकरी कर रही है।
इस कहानी के सार मे अगर हम उस लड़की के बारे मे चर्चा करे तो हम यह देखेंगे, कि उस लड़की के माता पिता के स्वर्गवास होने के बाद उसने खुद को कमजोर नहीं बनाया बल्कि उसने अपने जीवन मे ऐसे रास्तों की तलाश की जिसे उसकी ज़िन्दगी मे बदलाव आ सके, इसलिए उसने हर मुसीबत का सामना डटकर किया।
इसलिए यह लड़की हम सबके लिए एक प्रेरणा है जिससे हमें यही सीख मिलती है कि हमें हर मुश्किल का डटकर सामना करना चाहिए उससे पीछे नहीं हटना चाहिए।