झुँझलाहट

मूसलाधार बारिश

बिना छाते का मैं

ट्रेन पकड़ने दौडता हुआ

गाँव की पगडंडी

फिसलन भरी

प्लेटफार्म को छूती ट्रेन

दिखाई पड़ी

और मेरी ऐसे मे ही

हवाई चप्पल के फीते का टूटना

प्लेटफार्म को छोड़ती गाडी

हाथ में लिए हवाई चप्पल

पैरों में हवाई गति

नजर कभी गाड़ी पर

कभी चप्पल की दगाबाज़ी पर

अजीबोगरीब हालत

मन में झुँझलाहट

उपयुक्त पंक्तियां स्व. विनोदा नन्द झा की लिखित पुस्तक इन्द्रधनुष से ली गई है।