पूजा पपनेजा।
यह कहानी दिल्ली के जनकपुरी मे रहने वाले दो जीवनसाथी की है जिनकी उम्र 70 से 75 साल है। उनका नाम जसबीर कौर और पम्मी कौर(बदला हुआ नाम) है। इनसे मेरी मुलाकात दिल्ली के एक हॉस्पिटल में हुई थी। मैने वहां देखा कि जसबीर कौर की पत्नी ज्यादा बीमार थी, वहीं उनके पति की तबियत भी ठीक नहीं लग रही थी ।
फिर भी वह वहां अपने आप को न देखकर अपनी पत्नी की हालत देख रहे थे, जिसके बाद वह डॉक्टर से बार बार यह कह रहे थे कि आप मेरी पत्नी का इलाज कर दीजिए क्योंकि मेरी बीबी ठीक नहीं है। उसके बाद उनके पति की आँखे नम हो रही थी। इस पल को कोई भी देखता तो शायद भावुक हो जाता। डॉक्टर भी देखकर भावुक हो गई थी, इसके बाद तभी डॉक्टर कहती है कि जल्दी से इनकी पत्नी का इलाज शुरू कर दीजिए ।
वही अगर आपसे डॉक्टर के बारे मे चर्चा करे तो डॉक्टर खड़ी होकर यही सोच रही थी कि यह अपने जीवनसाथी से कितना प्यार करते हैं। वही जब मैंने उन दोनो जीवनसाथी को देखा तो मेरी भी आँख भर आई । उसके बाद मैंने यह महसूस किया कि जहां आज के समय मे युवापीढ़ी के जीवनसाथी छोटी छोटी बातो से एक दूसरे से रिश्ता खत्म कर रहे है वही कही ना कही यह दो जीवनसाथी भी है जो हम सबके लिए एक प्रेरणादायक स्त्रोत है। जिनका एक दूसरे पर विश्वास है एक दूसरे के प्रति मोहब्बत है ।
यही बाते आज की युवापीढ़ी को भी इनसे सीखने की ज़रूरत है क्योकि आज के समय मे कोई भी रिश्ता तभी चल सकता है, जब उसमे विश्वास हो जिसमे एक दूसरे के प्रति कद्र हो तभी किसी रिश्ते मे मज़बूती आ सकती है। इसलिए इस कहानी का सार यही है कि इन दो जीवनसाथी से हमें यह सीखने की ज़रूरत है कि परिस्थिति कैसी भी हो, साथ नहीं छोड़ना चाहिए क्योकि उसी से एक असली जीवनसाथी की पहचान होती है।