एक अनोखी दोस्ती की कहानी।

पूजा पपनेजा।

यह कहानी दो महिला मित्रों, प्रिया और भारती की है जो दिल्ली मे टैगोर गार्डन की रहने वाली है। इन दोनों की उम्र का फासला इतना अधिक है कि दोस्ती अनोखी सी लगती है क्योकि भारती की उम्र 90 साल थी वही प्रिया की उम्र 25 साल थी। लेकिन इन दोनों की दोस्ती कैसे शुरू हुई थी उस पर हम आपसे चर्चा करते है।

वैसे तो प्रिया की मुलाकात भारती के घर पर हुई थी। उसके बाद यह मुलाकात धीरे – धीरे दोस्ती मे तब्दील हो गई थी जिसके बाद प्रिया भारती के घर जाने लगी थी और ऐसे ही बात करते करते वह दोनों एक दूसरे के नज़दीक आने लगे थे। इसके बाद उनकी यह कहानी धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी थी। वैसे अगर प्रिया के बारे मे आपसे चर्चा करे तो प्रिया ने बहुत छोटी सी उम्र मे ही अपने माता पिता खो दिए थे। वही इस कहानी मे भारती के बारे मे बात करे तो भारती ने बहुत छोटी सी उम्र मे ही अपने जीवनसाथी को खो दिया था ।

इसके अलावा अगर आपसे भारती के दूसरे कारण की चर्चा करे तो भारती के पास कहने को बहुत बड़ा परिवार था जिसमे उसके पास किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं थी, लेकिन भारती की ज़िन्दगी मे कहीं ना कहीं वो अकेलापन था जो प्रिया की ज़िन्दगी मे भी था। इसके बाद यही वह वजह बनी थी जिस वजह से यह दोनों एक दूसरे के नज़दीक आने लगे थे। शायद दोनों एक ही परिस्थिति से होकर गुजर रहे थे।  इसी वजह से यह दोनों एक- दूसरे को बहुत अच्छे से समझ जाते थे ।

फिर उसी वजह से इन दोनों का रिश्ता गहरा हो जाता है । वैसे अगर आपसे आगे की कहानी के बारे मे चर्चा करे तो इस कहानी के अंत मे एक ऐसा मोड़ आता है जिसमे भारती की तबियत एक दिन अचानक बहुत ज्यादा ख़राब हो जाती है । भारती दुनिया से  जाने से पहले प्रिया से मिलना चाहती थी, लेकिन भारती की यह इच्छा अधूरी रह जाती है, क्योकि ज्यादा तबियत ख़राब होने से भारती की मौत हो जाती है।

प्रिया को  इस बात की जानकारी नहीं थी कि उसकी दोस्त अब नहीं रही ,लेकिन एक दिन ऐसा आता है जिसमे प्रिया को बहुत तेज़ घबराहट होती है । उसके बाद उसे यह महसूस होने लगता है कि जैसे उसका कोई अपना उसको छोड़ कर जा रहा है ।  वह कोई और नहीं था बल्कि उसी की सहेली भारती थी जिसने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।

प्रिया को जब भारती के घरवालो से इस बात की जानकारी मिलती है कि भारती अब इस दुनिया मे नहीं रही तो जैसे प्रिया के ऊपर तो दुखो का पहाड़ टूटने लगता है। इस अनोखे दोस्त के खोने के बाद प्रिया  अब वह अपनी सभी बाते अब अपने मन के अंदर ही रखेगी और अब वह किसी से भी नहीं कह पाएगी, क्योकि जो जगह भारती ने उसके दिल मे बनाई थी, वह किसी दूसरे को दे पाना उसके लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा।

वाकई,  प्रिया और भारती की दोस्ती ही बहुत अलग है।  इन दोनों का रिश्ता दिल का था जिसमे यह दोनों ही एक दूसरे की भावनाओ की कद्र करते थे।  कहानी का सार यही है कि आज के समय मे बहुत कम लोग होते है जो एक दूसरे की भावनाओ को समझते हैं  लेकिन हर व्यक्ति को एक दूसरे की भावनाओ की कद्र करनी चाहिए।