विश्व ऑटिज्म दिवस के अवसर पर विशेष बच्चों के विकास के लिये काम करने वाली संस्था, आशीर्वाद फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने दिल्ली सेंटर में एक समारोह का आयोजन किया। इस मौके पर बच्चों ने खुशी के साथ इस आयोजन में हिस्सा लिया।
इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर. सी. शुक्ला ने कहा कि ऑटिज्म से पीड़ित लोगों में छिपी हुई प्रतिभाएं होती हैं और हम सभी को उनकी पहचान करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों के माता-पिता को कभी भी अपने बच्चों को घर से बाहर लेकर जाने में संकोच नहीं करना चाहिए और उन्हें अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और समाज के साथ घुलने-मिलने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए।
दरअसल, ऑटिज्म विकास संबंधी एक मानिसक रोग है जिसका लक्षण जन्म से या बाल्यावस्था (प्रथम तीन वर्षों) में नजर आने लगता है। इससे प्रभावित व्यक्ति एक ही काम को बार-बार दोहराता है।
ऑटिज्म के बारे में जागरूकता को बढ़ाने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2007 में 2 अप्रैल के दिन को विश्व स्वपरायणता जागरूकता दिवस घोषित किया था। इस दिवस के माध्यम से ऑटिज्म से प्रभावित व्यक्ति के जीवन में सुधार के कदम उठाए जाते हैं। इसके जरिए उन्हें सार्थक जीवन जीने के लिए सहायता प्रदान की जाती है।
इस विकार का मुख्य लक्षण जैसे- सामाजिक कुशलता व संप्रेषण का अभाव, किसी कार्य को बार-बार दोहराने की प्रवृत्ति तथा सीमित रूझान आदि है। इसके अलावा मन्द सामाजिक एवं सीखने की अक्षमता से लेकर गंभीर क्षीणता तक इसके लक्षण हो सकते हैं।
ध्यान देने योग्य बात है कि इससे पीड़ित व्यक्ति की शारीरिक संरचना में प्रत्यक्ष तौर पर कोई कमी नहीं होती और अन्य सामान्य व्यक्तियों जैसी ही होती है। ऑटिज्म एक जटिल व्यवस्था है। यदि किसी अभिभावक को अपने बच्चे पर इस बीमारी को लेकर थोड़ा सा भी शक हो तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। बच्चे के बड़े होने या उसके निदान होने तक प्रतीक्षा न करें।