सुबह सुबह
दरवाजे खटखटाकर
दूध देने वाले से
मैंने किया प्रश्न
क्यों भई
आजकल दे रहे हो
दूध कुछ गंदा
बड़ी सजींदगी से
उसने जोड़े हाथ
निपोड़े दाँत
प्रश्न के उत्तर मे
किया यह प्रश्न
कि बाबूजी
आप हो ऑफिसर
ज़रा टेलीफून घुमाई के
पता लगाना
कि एक हप्तन से
नगर निगम के हर नल मे
पानी के संग संग
माटी क्यों गिरत है ?
उपयुक्त पंक्तियां स्व. विनोदा नन्द झा की लिखित पुस्तक इन्द्रधनुष से ली गई है।