पूजा पपनेजा।
दुनिया मे कई ऐसी कहानियाँ होती है जो हमें सुनने को मजबूर कर देती है। आज हम आपसे एक ऐसी ही कहानी के बारे मे चर्चा करने वाले है। यह कहानी एक प्रिया नाम की लड़की है जो दिल्ली की रहने वाली है। उसकी उम्र 26 वर्ष है।
वह अपने माता पिता की एक अकेली पुत्री थी। लेकिन उसकी भी कुछ कहानी है जो आपको बहुत दिलचस्प लगेगी । आपको यह भी बता दें कि प्रिया की ज़िन्दगी का सफर भी आसान नहीं था। क्योकि बचपन से ही उसके जीवन मे बहुत मुश्किलें थी वैसे भी उसके पिता एक पुत्र चाहते थे वह नहीं चाहते थे कि उनके घर लड़की हो ।
क्योकि उनका मानना था कि लड़का ही वंश को आगे बढ़ाता है। फिर इसी कारण उन्होने प्रिया की माँ का शोषण करना भी शुरू कर दिया था। जिसके बाद प्रिया की माँ बहुत परेशान रहने लगी थी।
क्योकि प्रिया की माँ यह समझ ही नहीं पा रही थी कि उनके साथ यह क्यों हो रहा है ? उसके बाद घर के हालात भी खराब होने लगे थे। जिसके कारण प्रिया छोटी सी उम्र मे ही परिपक्व होती जा रही थी। और फिर उसने इसी कारण से अपने जीवन मे बस यही लक्ष्य बना लिया था कि वह अपने पिता को कुछ बन कर दिखाएगी।
लेकिन कहानी अभी खत्म नहीं हुई थी। क्योकि यह दुःख का सफर जैसे-जैसे आगे बढ़ा वैसे ही प्रिया के पिता का सफर भी आगे बढ़ता चला गया ।
क्योकि प्रिया के पिता उसकी माँ से बहुत लड़ते थे और माता पिता की रोज लड़ाईयो के कारण प्रिया के ऊपर बहुत बुरा असर होने लगा था। लेकिन यह कहानी यही थमी नहीं थी। बल्कि अब प्रिया के पिता ने उसकी माँ के खिलाफ कोर्ट मे तलाक का केस डाल दिया था। जिसके बाद प्रिया की माँ बहुत परेशान होने लगी थी।
लेकिन दिलचस्प बात तो यह थी कि प्रिया की माँ अपनी बुरी परस्थतियो से हार नहीं मान रही थी। बल्कि उन्होने अपनी बेटी प्रिया को पालने के लिए रात दिन एक कर दिया था और उसके लिए दूसरो के घर मे बर्तन धोने का काम भी करती थी। जिससे वह प्रिया को हर खुशी दें सके ।
इसलिए अपने मन की परस्थिति जानते हुए भी उस पर ना ध्यान देकर उन्होने ने अपना सारा ध्यान अपनी बेटी प्रिया मे लगा दिया था। और अपनी बेटी को माता पिता दोनों का प्यार दिया था। इसके बाद अपनी बेटी को खूब पढ़ाया लिखाया भी था।
वैसे भी प्रिया की माँ और प्रिया मे दोस्तों वाला रिश्ता था जिस वजह से प्रिया अपने मन की हर बात अपनी माँ से कह देती थी । क्योकि प्रिया को अपनी माँ से ही माता पिता का प्यार मिल जाता था जिस वजह से उसे अपने पिता की कमी महसूस नहीं होती थी। वैसे भी प्रिया की माँ ने उससे वह सब कुछ दिया था जो उसकी माँ खुद न कर सकीं थी।
लेकिन कहानी मे एक दिन ऐसा मोड़ आता है जिसमे उसकी माता की अचानक मृत्यु हो जाती है। लेकिन जाने से पहले उसकी माँ को फिर प्रिया का ख्याल आता है । जिसमे वह घर के सभी लोगो को अंतिम बार बुलाती है और कहती है कि मेरी बेटी का ध्यान रखना और उसकी माँ की वह आस वही दब जाती है।
क्योकि उसकी माँ भी यह जानती थी कि उसकी बेटी का ख्याल उसके अलावा कोई रखने वाला नहीं है।उसके बाद कुछ ही दिनों मे उसके पिता की भी मृत्यु हो जाती है।जिसके बाद प्रिया के सिर से माता पिता दोनों का साया उठ जाता है। फिर प्रिया की मुश्किलें बढ़ती जाती है ।
क्योकि अब प्रिया की ज़िन्दगी मे संघर्ष शुरू हो गया था। इसके साथ आपको यह भी बता दें कि प्रिया कभी अपने घर से भी बाहर नहीं निकली थी। क्योकि उसकी ज़रूरत का सारा सामान उसकी माँ लाती थी।
लेकिन मुश्किल अब यह थी कि उससे अब अपनी माँ के बिना चलना था और उसको कोई भी सही गलत बताने वाला नहीं था। अपने लिए नए नए रास्तो की तलाश भी उससे खुद ही करनी थी।
इसलिए अब हम आपको आगे की कहानी बताते है कि जब वह घर से निकली तो उससे रास्तो का ज्ञान नहीं था लेकिन जब वह ज़िन्दगी मे भटकी तो उसे हर रास्ते का ज्ञान हो गया था ।
लेकिन प्रिया ने इन सब चीज़ों से निकलने के लिए एक रास्ता बनाया जिसमे उसने ब्लड डोनेशन ग्रुप को ज्वाइन किया और अपनी ज़िन्दगी को एक नई राह दी और आज वह सब लोगो की मदद करती है।
खैर वह अभी भी अपनी ज़िन्दगी मे संघर्ष कर रही है । लेकिन अगर हम इस कहानी की बात करे तो हमें इससे यह सीख मिलती है कि माता पिता को अपना रिश्ता अच्छा रखना चाहिए ताकि बच्चों के मन मे खटास न पैदा हो और बच्चों के मन मे भी अपने माता पिता के लिए लगाव रहे ।
लेकिन इस कहानी मे एक बात यह भी है, कि किस तरह से उसकी माँ ने अपनी बेटी को पालने मे कितना संघर्ष किया होगा ? और कितनी हिम्मत होगी उस बच्ची मे जिसने इतना कुछ झेला होगा ?
इस कहानी मे हमने देखा कि प्रिया ने बिना सहारे के चलना शुरू किया था। क्योकि उसका मानना था कि सहारे इंसान को खोखले करते है इसलिए उसने बिना किसी सहारे के चलना शुरू कर दिया था । इसलिए ऐसी सोच हम सबको रखनी चाहिए ताकि हम अपनी ज़िन्दगी मे बुरी परस्थतियो से भागे नहीं बल्कि उनका डटकर सामना करे।