एक होता है सपने देखना।
एक होता है सपने सोचना।
मैं स्वप्नसोची हूँ।
देखने वाले स्वप्न पर
अपना निंयत्रण
कहाँ होता है?
खुद का निंयत्रण है।
पर स्वप्न सोचने पर।
इसका सोचा मुझे
आने वाले कल मे
मग्न हो प्रवेश करने को
प्रेरित कर जाता है।
भविष्य मे अनेको
रंग भर जाता है।
उपयुक्त पंक्तियां स्व. विनोदा नन्द झा की लिखित पुस्तक इन्द्रधनुष से ली गई है।