छोटी सी मासूम बच्ची लड़ रही है, कैंसर की जंग।

पूजा पपनेजा।

एम्स हॉस्पिटल, जहां लोग दूर-दूर से कई गंभीर बीमारियों का इलाज कराने आते हैं, वहीं तो कैंसर के इलाज के लिये भी यहां बड़ी संख्या में मरीज यहां का रूख करते हैं। इस जानलेवा बीमारी से पीड़ित बच्चों के माता पिता को ये उम्मीद होती है, कि शायद यहां की निगरानी में उनका बच्चा बच जाए। शायद इसीलिए कि इस बुरी परिस्थिति में डॉक्टर भी अपने मरीजों का इलाज़ बहुत- अच्छे ढंग से करते हैं।

हम सब जानते है कि कैंसर की खराब स्थिति में पीड़ित व्यक्ति का बच पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। यह ऐसा वक्त होता है, जब रिश्तेदार हर हाल में अपनों को बचाना चाहते हैं, और इलाज के लिये अस्पतालों के चक्कर काटते हैं। एम्स देश का ऐसा हॉस्पिटल है, जहां ऐसे मामले बहुत देखने के लिये मिलते हैं।

यहां, आपको ऐसी कई कहानियाँ  देखने – सुनने को मिलेगी, जिसमें आप खुद ही आभास करके इन कहानियों की और खींचते चले जायेंगे, जिससे आपकी जिंदगी को एक- नया रूप मिलेगा।
मान लीजिये – यदि आप अपनी जिंदगी में हार गए हैं, तो आप एक बार एम्स मे जाकर उन परेशान लोगों को देखें तो आपको ये अनुभूति होगी कि यहाँ पर आपसे भी ज्यादा परेशान लोग हैं, जो अपने बच्चे के लिए हर मुसीबत का डटकर सामना कर रहे हैं।

आज हम आपके साथ एक ऐसी ही कहानी के बारे मे बात करने वाले हैं।

ये कहानी एक ऐसी बच्ची की है, जिसका नाम दिव्यांशी है। उसकी उम्र मात्र  6 साल है। वह मध्य प्रदेश की रहने वाली है। वैसे अभी तो उसके खेलने कूदने की उम्र ही थी।  वही जिंदगी को क्या पता था कि उसकी हंसती- खेलती जिंदगी में एक ऐसा नया  मोड़  आएगा और वह ब्लड – कैंसर जैसी बीमारी से ग्रस्त हो जाएगी ।
फ़िलहाल, अभी उसका एम्स हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। उस मासूम को तो ये अंदाजा भी नहीं है कि वो किस परस्थिति से लड़ रही हैं। आपको बता दें  कि डॉक्टर ने अभी उससे एसडीपी  चढ़वाने के लिए कहा है, क्योंकि बच्ची की हालत अभी नाजुक बताई जा रही है। इसके साथ ही माता पिता भी अपनी बच्ची के लिए इस मुसीबत का डटकर सामना कर रहे है।

दरअसल, एसडीपी ब्लड के जरिए एक घंटे में प्लेटलेट्स निकालता है। इसमें डोनर के शरीर से ब्लड निकालकर मशीन में ले जाया जाता है।  वहां से प्लेटलेट्स अलग होकर मरीज के शरीर तक पहुंचता है और बचा हुआ ब्लड पुनः डोनर के शरीर में पहुंचाया जाता है।

अगर हम इस कहानी पर विचार करें तो ये देखेंगे कि हम छोटी-छोटी मुश्किलों से परेशान हो जाते हैं, लेकिन  उस बच्ची की हिम्मत देखिये कि वो अपनी बुरी परस्थिति से कैसे लड़ रही है।

सार यही है कि जिंदगी की बेहद मुश्किल परिस्थिति होने बावजूद जिस तरह बच्ची अपने माता-पिता के साथ वक्त से लड़ने की कोशिश कर रही है, उसी तरह हर किसी को अपनी जिंदगी में आने वाली परेशानियों का डटकर सामना करने की जरूरत है।

आने वाले समय में उस बच्ची की जिंदगी के साथ लड़ाई कौन सा मोड़ लेती है, हम आगे फिर आपको बताएंगे। फिलहाल उसे दवा के साथ आप सबके दुआओं की भी आवश्यकता है।