अंतर्राष्ट्रीय स्पाइन और स्पाइनल इंजरी कॉन्फ्रेंस 2024 में रीढ़ की हड्डी की चोट के लिए नई तकनीकों पर जोर दिया गया।

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर, 2024।

रीढ़ की हड्डी की चोटें जीवन को बदलने वाली घटनाएं होती हैं जिसमें अच्छी टेक्नोलॉजी के साथ उपचार और बेहतर पुनर्वास की आवश्यकता होती है। यह बात श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में स्पाइन सर्जन और स्पाइन सेवाओं के प्रमुख डॉ. एच.एस छाबड़ा ने दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय स्पाइन और स्पाइनल इंजरी कॉन्फ्रेंस 2024 में कही।

श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट एंड स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी (स्पाइनल कॉर्ड इंजरी डे) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्पाइन और स्पाइनल इंजरी कॉन्फ्रेंस (आईएसएसआईकॉन) 2024 का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ आयोजित इस सम्मेलन में उपचार, पुनर्वास के साथ सक्षम तकनीकों पर चर्चा की गई।  26 अक्टूबर को नई दिल्ली में शुरू हुए इस दो दिवसीय सम्मेलन में 600 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. एच.एस छाबड़ा ने किया, जो स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी  और ISSICON 2024 आयोजन समिति के अध्यक्ष भी हैं। इस मौके पर उन्होंने एससीआई रोगियों के परिणामों को बेहतर बनाने में सक्षम टेक्नोलॉजी पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि रोबोटिक सर्जरी, न्यूरोरिहैबिलिटेशन टूल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उन्नत तकनीकों के माध्यम से, हम सुरक्षित और  अधिक विश्वसनीय विकल्प प्रदान कर सकते हैं जो उपचार की दक्षता को बढ़ाते हैं और जटिलताओं को कम करते हैं।

यह सम्मेलन एस.सी.आई प्रबंधन के क्षेत्र में नवीनतम शोध, तकनीकों और प्रौद्योगिकियों को साझा करने के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करता है।  इसमें अंतःविषय दृष्टिकोणों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें शल्य चिकित्सा संबंधी प्रगति, नवीन पुनर्वास रणनीतियां और सहायक प्रौद्योगिकियां शामिल हैं, जो न केवल स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को बल्कि उनके द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले रोगियों को भी लाभ पहुंचाती हैं।