मौसम विभाग ने जहां उत्तर भारत समेत दिल्ली में भारी बारिश का येलो एलर्ट जारी किया है, वहींं इस लगातार होती बारिश ने लोगों का जन-जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। सड़कें, नाले, अंडर पास सारे पानी से लबालब होती नजर आ रही हैं।
राजधानी के अलग-अलग इलाकों की तस्वीरें अभी से लोगों को परेशान कर रही हैं वहीं सड़कों पर गाड़ियों की कतारें धीमे-धीमे आगे बढ़ती दिख रही हैं।
दो दिनों से हो रही बारिश का ये रहा कि दिन में ही रात जैसी सूरत नजर आने लगी है। जिस तरह मौसम विभाग ने आने वाले दो-तीन दिन ऐसी स्थिति ही बने रहने का अलर्ट जारी किया है वहीं दिल्ली की इस वक्त की सूरत आने वाले दिनों के लिये डरा रही है।
सीवरों में लगातार जा रहा पानी उसे ओवरफ्लो कर रहा है, जिससे लोगों के बेसमेंट और पार्किंग में पानी जमा होने लगे हैं।
ऐसे में सवाल एमसीडी की कार्यशैली पर उठती है, जो हर बार बारिश से पूर्व गलियों, नालियों एवं सीवरों को दुरूस्त करने के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाती है। इस बार भी बारिश का पूर्वानुमान लगाया गया था, जिसमें भरपूर बारिश की बात की गई थी, मगर फिर भी इसके लिये किसी तरह के इंतजाम नहीं किये गये।
सिस्टम की नाकामी का खामियाजा दिल्लीवासी भुगतने के लिये मजबूर हैं। टूटी सड़कों पर चलने वाले भारी वाहन कब कहां धंस जाएंगे, इसका डर उसे चलाने वाले को जरूर है, मगर दिल्ली वाले तो दिलवाले हैं।
इस बारिश के बाद फिर भूल जाएंगे। चुनाव में यह मुद्दा ज्वलंत नहीं होगा बल्कि राजनीति का केन्द्र कुछ नया विषय ले लेगा जिससे यहां के विकास का कोई लेना-देना नहीं है।
बाकि विरोध करेगा भी कौन। किसे फुर्सत है यह सब करने की। निम्न मध्यम ओर मध्यम वर्गीय परिवार यहां दूसरे राज्यों से रोजी-रोटी कमाने आये हैंं। रोजाना अलसुबह घर से ऑफिस निकलते हैं और रात को काम पूरा करते थके हारे बसों में , ट्रैफिक में धक्के खाते घर आकर थककर चूर हो जाते हैं।
फिर कहां बचती है, विरोध के लिये आवाज उठाने की ताकत। बस यह सोचकर खुश होते हैं कि हम सरकार चलाते हैं, और उसके लिये टैक्स भरते हैं। अब ऐसे में वाकई पूरी जिम्मेदारी सरकार और सिस्टम की ही बच जाती है, चाहे डुबा दें या डूबने से बचा लें। तो इस बारिश में बचते बचाते अगर घर तक सही सलामत पहुंच गये तो कहिये, जय हो सरकार की।