भारतीय इंजीनियर अपनी प्रतिभा के कारण विदेशों में भी अच्छा कर रहे हैं- डॉ. मिश्र।

उषा पाठक, वरिष्ठ पत्रकार।

नयी दिल्ली,16 फरवरी 2024 (एजेंसी)। पहले इंजीनियरो के लिए नौकरियों की कोई कमी नहीं थी लेकिन आज के दौर में काफी बदलाव आया हैं। हालांकि कंप्यूटर आदि के क्षेत्र में काफी अवसर है। भारतीय इंजीनियर  अपनी प्रतिभा के कारण विदेशों में भी अच्छा कर रहे हैं। प्रसिद्ध तकनीकी शिक्षाविद  प्रो.(डॉ.)ब्रह्मानंद मिश्र ने यह बात एक बातचीत के दौरान कही। प्रो.ब्रह्मानंद मिश्र ने कहा है,कि देश में आजादी के बाद से तकनीकी शिक्षा का तेजी से विकास हुआ एवं इस ओर छात्रों का रुझान बढ़ा।

1936 में 11 मई को जन्मे डॉ मिश्र ने कहा कि जब आजादी मिली थी,उस समय उनकी आयु मात्र 11 साल की थी। ग्रामीण परिवेश के लोग मैट्रिक की परीक्षा उतीर्ण करना बड़ी बात समझते थे,लेकिन आजादी के तुरंत बाद सभी चीजें तेजी से बदलने लगी और तकनीकी शिक्षा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा।

तत्कालीन बिहार के आदिवासी इलाके गोड्डा से आने वाले डॉ.मिश्र ने बताया कि उन्होंने वर्ष 1954 में मैट्रिक के बाद,1957 में आई एस सी फिर 1962 में बी एस सी इंजीनियरिग करने के बाद 1967 में एम् टेक की डिग्री हासिल की। उस समय तक भारतीय छात्रों का बड़े पैमाने पर तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में रुझान बढ़ने लगा था। कई नामी संस्थान खुल चुके थे।

उन्होंने कहा कि खड़गपुर में खुलने बाला आईआईटी पहले बिहार में बनने बाला था, लेकिन विधान चंद्र राय की वज़ह से ऐसा नहीं हो सका। बाद में बिहार के पहले मुख्यमंत्री  श्रीबाबू ने उसी तर्ज़ पर बीआईटी सिंदरी की स्थापना की।

 

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