मीमांसा डेस्क।
अदालतों में बढ़ते केस का बोझ और फैसले में देरी का खामियाजा बड़ी संख्या में कैदियों को भुगतना पड़ता है। कई बार कुछ मामलों में गरीब कैदियों को जमानत की राशि नहीं होने से उनकी सज़ा और बढ़ जाती है।
ऐसे में गरीब और निर्धन कैदियों को सहायता प्रदान करने के लिए, गृह मंत्रालय ने “गरीब कैदियों को सहायता” देने की योजना तैयार की है, जिसका उद्देश्य ऐसे गरीब कैदियों को राहत प्रदान करना है जो जुर्माने की राशि का भुगतान करने में असमर्थ हैं या आर्थिक तंगी के कारण जमानत प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं।
केंद्र सरकार द्वारा इसके लिए सेंट्रल नोडल एजेंसी (सीएनए) के खाते में धनराशि उपलब्ध करायी गयी है Iराज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे राज्य / केंद्रशासित प्रदेश मुख्यालय स्तर पर “गरीब कैदियों को सहायता” योजना के लिए एक सहायक बैंक खाता खोलें और इसे सीएनए खाते के साथ मैप करें।
राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को अपने-अपने राज्य / केंद्रशासित प्रदेश के हर जिले में एक ‘अधिकार प्राप्त समिति‘ गठित करने की सलाह दी गई है, जो जमानत प्राप्त करने अथवा जुर्माना अदा करने आदि के लिए प्रत्येक पात्र मामले में आवश्यक वित्तीय सहायता की आवश्यकता का आकलन करेगी।
जिला स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिए गए निर्णय के आधार पर राज्य / केंद्र शासित प्रदेश मुख्यालय स्तर के नोडल अधिकारी द्वारा सीएनए खाते से धनराशि निकाली जाएगी और जिला स्तरीय समिति द्वारा अनुमोदित राशि जुर्माना / जमानत आदि के भुगतान के लिए संबंधित न्यायालय को भुगतान की जाएगी।
इस बात की जानकारी लोकसभा में गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।