चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड
90 के दशक का हर वो बच्चा जो बॉलीवुड फिल्मों को देखते हुए बड़ा हुआ हो वो कादर खान के नाम से परिचित ना हो ऐसा संभव ही नहीं है। कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को अफगानिस्तान स्थित काबुल में हुआ जिसके बाद एक वर्ष की उम्र में ये अपने पिता अब्दुल रहमान और माँ इकबाल बेगम के साथ मुम्बई आ गए।
मुम्बई के म्युनिसिपल स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मुम्बई यूनिवर्सिटी से एफिलिएटिड स्माइल युसूफ कॉलेज इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। इन्होंने 450 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और और 250 से ज्यादा फिल्मों के लिए संवाद लिखे।
फिल्मों में उनके अभिनय करियर की शुरुआत 1973 के ‘दाग’ से हुई इसके बाद 1974 में ‘रोटी’ के संवाद लिखने के लिए इन्हें बहुत अच्छा वेतन प्राप्त हुआ। इसके बाद 1977 के ‘अमर अकबर एंथोनी’ के संवाद को नहीं भुलाया जा सकता।
1981 में इन्होंने ‘नसीब’ में काम किया जिसमें इनके साथ अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, ऋषि कपूर और शत्रुघ्न सिन्हा थे। फिर इन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ 1982 में ‘सत्ते पे सत्ता’ में अभिनय किया जिसमें शक्ति कपूर और हेमा मालिनी थी। 1982 में ही ‘मेरी आवाज सुनो’ के सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखन के लिए इन्हें फिल्म फेयर अवार्ड मिला इसके बाद 1984 से इनकी अभिनीत फिल्मों की संख्या बढ़ गई। 1991 में ‘बाप नम्बरी बेटा दस नम्बरी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्म फेयर अवार्ड इन्होंने अपने नाम ही नहीं किया वरन 1993 में ‘अंगार’ में सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखन के लिए इन्हें फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया । इसके बाद 2013 में साहित्य शिरोमणि अवॉर्ड से विभूषित होने वाले इस महान कलाकार का कनाडा में 31 दिसम्बर 2018 को प्राणांत हो गया।
कादर खान की जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 801वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई। व्यक्तित्व कॉलम में आपको इस बार किस व्यक्तित्व के बारे में जानना है, अपने विचार अवश्य व्यक्त करें हमारे द्वारा उस व्यक्तित्व के बारे में जानकारी देने का पूर्ण प्रयास किया जाएगा। धन्यवाद।