अन्तर्राष्ट्रीय रायफिसेन यूनियन बोर्ड में डॉ. नंदिनी आजाद के दोबारा चयन से गर्वान्वित हुआ भारत

बॉन, जर्मनी 

सहकारिता के क्षेत्र में विश्व स्तर पर एक बार फिर से भारत के लिये गर्व का पल है, जब सहकारिता के जनक कहे जाने वाले फ्रेडरिक विल्हेम रायफिसेन के विचारों से बने राष्ट्रीय सहकारी संगठनों का एक विश्वव्यापी संघ- आईआरयू बोर्ड के लिये दोबारा भारत की डॉ. नंदिनी आजाद का चयन किया गया है। इससे पूर्व वर्ष 2018 में आईआरयू बोर्ड के लिये डॉ. नंदिनी आजाद को चुना गया था, जो एक ऐतिहासिक पल था, क्योंकि नंदिनी पिछले 50 वर्षों में इस पद के लिये चुनी जाने वाली दुनिया की पहली और एकमात्र महिला रहीं।

सहकारी नेतृत्व के साथ लैंगिक समानता को सबसे ऊपर रखने वाली डॉ. नंदिनी ने तीन दशकों से अधिक के अपने करियर में लैंगिक समानता, सहकारी समितियों, गरीबी उन्मूलन, विकास और वित्तीय समावेशन जैसे क्षेत्रों में लगातार महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आईआरयू बोर्ड में उनकी यात्रा की शुरूआत रायफिसेन बोर्ड में एक विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शुरू हुई, जहां उन्होंने सहकारी क्षेत्र में महिलाओं के अधिक भागीदारी और प्रतिनिधित्व की पुरजोर वकालत की।

गौरतलब है कि आईआरयू, राष्ट्रीय सहकारी संगठनों का एक प्रतिष्ठित विश्वव्यापी संघ है जो फ्रेडरिक विल्हेम रायफिसेन के मूलभूत विचारों पर बनाया गया है। स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रिया, फ्रां, नीदरलैंड, केन्या और भारत सहित दुनियाभर के सदस्य संगठनों के 53 देशों में विस्तृत वैश्विक स्तर पर सहकारी आदर्शों और प्रथाओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इस बारे में बात करते हुए डॉ. नंदिनी आजाद ने कहा कि इंटरनेशनल रायफिशेन यूनियन बोर्ड के लिये दोबारा चुना जाना केवल व्यक्तिगत ही नहीं बल्कि यह सहयोग, लैंगिक समानता और सामाजिक समावेश के सिद्धांतों की जीत है। यह एक ऐसी दुनिया बनाने के हमारे प्रयास को दर्शाता है जहां भेदभाव के बिना हर लिंग की बात सुनी जाती है, और उसे महत्व दिया जाता है। उन्होंने कहा कि हम साथ मिलकर हर मुश्किल का सामना करते हुए दुनिया भर में सहकारी समितियों के लिये अधिक समावेशी और सुनहरे भविष्य का निर्माण करेंगे।

चेन्नई से सहकारी नेतृत्व के वैश्विक मंच तक की डॉ. नंदिनी की प्रेरक यात्रा पुरुषों और महिलाओं दोनों को रूढ़िवादिता को तोड़ने और सहकारी नेतृत्व में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रोत्साहित करती है। आईआरयू के इस प्रतिष्ठित बोर्ड में उनके दूसरे कार्यकाल की जीत ने वैश्विक स्तर पर सहयोग और सतत विकास को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।

डॉ. नंदिनी आजाद को अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धियों के अलावा भारत के सामाजिक और सहकारी क्षेत्र में असाधारण योगदान ने प्रभावशावी हस्तियों के बीच उन्हें अलग पहचान दिलाई है। विख्यात जर्मन इंडोलॉजिस्ट प्रो. डाइटमार रॉदरमंड ने अपनी पुस्तक माई एनकाउंटर्स इन इंडिया में सहकारी आंदोलन में उनके गहरे प्रभाव और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और गरीबी उन्मूलन के लिये किये गये उनके अथक प्रयासों के बारे में चर्चा की है।

वर्तमान में डॉ. आजाद महिला सहकारी नेटवर्क(आईसीएनडब्ल्यू) में भारत की निर्वाचित अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं , जहां उनका काम तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और कर्नाटक में अनौपचारिक क्षेत्र के 276 विभिन्न व्यवसायों में शआमिल 600 गरीब महिलाओं के जीवन को छूता है। इसके साथ ही भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद(एनसीसीटी) गवर्निंग बोर्ड के सदस्य के रूप में उनकी भूमिका और प्रभाव को और मजबूत करती है।

 

 

 

 

 

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