शिल्पकारों की परंपरा को मजबूती देने के लिये उनके गांव पहुंचा जिला प्रशासन

चिन्मय दत्ता, रांची।

शिल्पकारों को सम्मान मिले और उनकी कला जीवित रहे, इस उद्देश्य से मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश पर बीते दिन झारखंड में जमशेदपुर के बोड़ाम प्रखंड स्थित अंधारझोर गांव जिला प्रशासन की टीम पहुंची।
इस अवसर पर उपायुक्त मंजूनाथ भजन्त्री ने शिल्पकारों से तबला, मांदर, ढोल, मृदंग आदि को बनाने में लगने वाले समय, लागत, निर्माण सामग्री, मार्केट तथा उनके उत्पाद को मिलने वाले मूल्य की जानकारी ली। 70 परिवारों वाले गांव अधारझोर के ग्रामीणों ने बताया कि कई पीढ़ियों से उनका गांव शिल्पकला को संरक्षित रखने का कार्य कर रहा है लेकिन लागत के अनुपात में मूल्य नहीं मिलने तथा बाजार उपलब्ध नहीं होने के कारण लोग इससे विमुख भी होने लगे हैं। उपायुक्त ने जमशेदपुर के साक्ची स्थित संजय मार्केट के पास खाली स्थान में विश्वकर्मा प्वाइंट बनाने की संभावनाओं को देखा। इस प्वाइंट पर शिल्पकारों के लिए मार्केट विकसित करने पर विचार किया गया है।

इसके अलावा ग्रामीणों को प्रशासन द्वारा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं जैसे मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना, फुलो झानो आशीर्वाद योजना, छात्रवृत्ति, धान अधिप्राप्ति, अनुदानित दर पर कृषि उपकरण वितरण योजना तथा अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं की जानकारी दी गई और उन्हें योजनाओं का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त मंजूनाथ भजन्त्री के अनुसार मुख्यमंत्री के आदेश पर ग्रामीणों को विभिन्न योजनाओं से जोड़ा गया है। गांव को मूलभूत सुविधाओं से आच्छादित करने की प्रक्रिया शुरू हुई है। शिल्पकारों की सैकड़ों वर्षों से चली आ रही वाद्ययंत्र निर्माण की परंपरा को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए कार्य शुरू हो चुका है।

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